रायपुर। कोरोना के दूसरे लहर में संक्रमण के तेजी से फैलाव से पहले ही लोगों की हालत खराब है, ऐसे में अगर लैब वाले ही गलत रिपोर्ट दें तो अच्छे भले आदमी की हालत पतली होते कितनी देर लगेगी. इसका अंदाजा लगाना है तो आपको आरएम पाण्डे के बारे में जानना होगा, जिनकी गलत रिपोर्ट देखकर डॉक्टरों ने तत्काल अस्पताल में एडमिट होने के साथ स्टेरॉइड इंजेक्शन लगाने की सलाह तक दे डाली, नहीं तो जिंदगी के गिनती के दिन ही शेष रहने की बात कह जाती.

अब आपको विस्तार से बताते हैं कि कोरोना काल में कैसे जिम्मेदार लोगों की लापरवाही आम लोगों पर भारी पड़ रही है. रायपुर आईटीआई के रिटायर्ड प्रिंसिपल 65 वर्षीय आरएम पांडेय ने स्वास्थ्य ठीक नहीं होने पर मेडिक्स (medcis) लैब में अपनी जांच कराई, जिसमें उनका इंटरल्यूकिन 6 (फेफड़ों की जांच) 1472 pg/ml मिला, जबकि मानक 7.0 pg/ml है. आंकड़े पर फिर से गौर करिए अधिकतम 7.0 pg/ml की जगह पांडेय जी में इंटरल्यूकिन 6 1472 pg/ml मिला. इस आंकड़े को पुष्टि किए बिना लैब के एमडी पैथोलेब, डॉ. धनंजय प्रसाद ने हस्ताक्षर भी कर दिए. मानक से करीबन डेढ़ हजार गुना इंटरल्यूकिन देख हड़बड़ाए पांडेय जी तुरंत अस्पताल पहुंचे. डॉक्टर भी रिपोर्ट देखकर हड़बड़ाए और तुरंत अस्पताल में भर्ती होने के साथ स्टेरॉइड इंजेक्शन लगाने की सलाह दे डाली.

रिपोर्ट देखकर केवल पांडेय जी ही नहीं बल्कि उनकी पूरी परिवार परेशान हो गया, रोना-गाना शुरू हो गया. जाहिर है कोरोना काल में जब अंतिम संस्कार को दूर लोगों को अपने परिजनों के अंतिम दर्शन तक नसीब नहीं हो रहे हैं, तब पांडेय परिवार की हालत का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है. आखिरकार जानकार डॉक्टर की लैब रिपोर्ट की विश्वसनीयता पर सवाल उठाते हुए दूसरे लैब में जांच कराने की सलाह दी. उन्हें सलाह मुनासिब लगी और डॉ. लाल पैथलेब्स में जांच कराई. यहां उनकी इंटरल्यूकिन 6 रिपोर्ट 2.70 pg/ml मिली. रिपोर्ट को देखने के बाद पांडेय जी के साथ उनके परिवार ने राहत की सांस ली. लेकिन एक गलत रिपोर्ट की वजह से परिवार एक नहीं दो नहीं बल्कि तीन दिन तक परेशान रहा.