शैलेन्द्र पाठक, बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से सुनवाई करके इतिहास रच दिया. पहली बार हाईकोर्ट में वीडियो कान्फ्रेंस के जरिए याचिकाओं पर सुनवाई है. जस्टिस प्रशांस मिश्रा और गौतम भादुड़ी की डबल बैंच ने मामलों की सुनवाई की.
आज जिन मामलों में सुनवाई वे सभी कोरोना से संबंधित मामले थे. इसमें मुख्य रूप से प्रदेश लापता तबलीगी जमात के लोगों की जानकारी और जाँच, लॉकडाउन में शराब दुकान नहीं खोलने, पुलसिया लॉठीचार्ज, रोज खाने-कमाने वालों को मदद शामिल थे.
मामले की सुनवाई करते जस्टिस मिश्रा और भादुड़ी की युगलपीठ ने सरकार को आदेशित किया कि निजामुद्दीन से लौटे तबलीगी जमात के लापता 52 लोगों की संघन अभियान चलाकार खोजबीन की जाए. उन्हें पकड़कर तत्काल जाँच कराई जाए. इस मामले में कोर्ट ने सरकार से 13 अप्रेल तक स्टेट्स रिपोर्ट पेश करने को कहा. वहीं लॉकडाउन में शराब दुकान नहीं खोलने के मामले में लगी याचिका को लेकर भी सुनवाई अब 13 अप्रैल को होगी.
इसके साथ ही दो अन्य मामले पर भी सुनवाई है. जिसमें करीब 12 से 13 हजार जो छोटे दुकानदार, सब्जी व्यवसायी सहित अन्य वेंडर उनके जीवन-यापन संबंधित था. वहीं लॉकडाउन में पुलिसिया सख्ती और लॉठीचार्च करने के साथ कुछ लोगों की हुई जमकर पिटाई का मामला भी था. इन मामलों में सरकार को 27 अप्रैल तक रिपोर्ट पेश करने को कहा गया है.
हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता प्रतीक शर्मा ने कहा कि छत्तीसगढ़ के इतिहास में ऐसा पहली बार जब वीडियो कान्फ्रेंस के जरिए सुनवाई हुई. जिन मामलों में सुनवाई वे सभी जनहित से संबंधित थे. इसमें अब सरकार 13 अप्रैल तक जवाब देना है. सबसे महत्वपूर्ण विषय तबलीगी जमात के लापता 52 लोग हैं. जिनके बारे में फिलहाल सरकार को भी कुछ नहीं पता है. कोर्ट की तरह से सरकार को आदेशित किया गया है कि जल्द से लापता लोगों की खोज की जाए. वहीं हमने कोर्ट से यह भी मांग की है कि लॉकडाउन के दौरान शराब दुकान न खोली जाए. फिलहाल राज्य सरकार ने 14 अप्रैल तक दुकान नहीं खोलने का निर्णय लिया है, जो कि स्वागत योग्य है. लेकिन मैंने कोर्ट के समक्ष यह मांग रखी है कि अगर लॉकडाउन की अवधि 14 अप्रैल के बाद राज्य में बढ़ाई जाती है तो जनहित को ध्यान में रखते हुए शराब दुकान को बंद रखने की अवधि को बढ़ा दी जाए.