सत्यपाल सिंह राजपूत, रायपुर। जेम पोर्टल के माध्यम से प्रदेश के कुछ यूनिवर्सिटी व कॉलेजों के द्वारा की जा रही सामग्रियों की खरीदी में संगठित भ्रष्टाचार का आरोप है. इन आरोपों की जांच के लिए आयुक्त, उच्च शिक्षा संचालनालय ने तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया है, जो 7 दिनों के अंदर अपनी रिपोर्ट पेश करेगी.
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2 करोड़ से ज़्यादा की गड़बड़ी के आरोपों की जांच के लिए गठित कमेटी के संयोजक अपर संचालक-उच्च शिक्षा संचालनालय डॉ. किशोर कुमार तिवारी को नियुक्त किए गए हैं. वहीं सहायक संचालक-उच्च शिक्षा संचालनालय डॉ गोवर्धन यादव और सहायक संचालक-वित्त उच्च शिक्षा संचालनालय महेश कुमार साहू को सदस्य नियुक्त किए गए हैं.

आरोप है कि यूनिवर्सिटी व कॉलेजों के जिम्मेदारों ने बिना निविदा अपने चहेतों को लाखों का कार्य बांट दिए. बिलासपुर स्थित अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय में एक करोड़ के टेंडर कार्य में गड़बड़ी के आरोप है, तो वहीं गवर्मेंट कॉलेज महासमुंद द्वारा उसी फर्म को 1 करोड़ के 36 अलग-अलग कार्य आदेश देने का मामला है. इसके अलावा वीरांगना रमोतीन गवर्मेंट मॉडल कॉलेज, नारायणपुर ने उसी फ़र्म को 35 लाख कर दिया है.

जानिए क्या है आरोप
इस संबंध में की गई शिकायत के मुताबिक, अटल बिहारी वाजपेयी यूनिवर्सिटी बिलासपुर द्वारा 15.04.25 को जेम पोर्टल के माध्यम से बिना निविदा किए L1 पद्धति से लगभग 1 करोड़ के ऊपर की खरीदी की गई है, जिसे तीन फर्मों को 26 क्रय आदेश एक ही दिन में जारी किए गये हैं. इनमें सागर इंडस्ट्रीज-जांजगीर, सिंघानिया ग्रुप ऑफ़ इंडस्ट्रीज-जांजगीर और ओशन एंटरप्राइज़-जांजगीर शामिल हैं. सभी सामग्रियों की L1 दर इन्हीं फर्मो में आया है, जो कि एक ही परिवार के होने की संभावना है. ठीक उसी प्रकार 19.04.25 को भी 6 क्रय आदेश और 28.04.25 को भी कुछ कार्य आदेश जारी हुए हैं. जो इन्हीं फ़र्मो को दिए गए है.
इसी प्रकार से 14.10.25 को वीरांगना रमोतीन गवर्नमेंट मॉडल कॉलेज, नारायणपुर द्वारा इन्ही फर्मों को, L1 पद्धति में, एक ही दिन में 35 लाख के 22 अलग-अलग क्रय आदेश बिना निविदा के दे दिए गए हैं. इसी प्रकार से 22.10.25 को गवर्नमेंट कॉलेज, महासमुंद द्वारा इन्ही फर्मों को एक ही दिन में 1 करोड़ मूल्य के 36 अलग-अलग क्रय आदेश बिना निविदा के दे दिए गए हैं.
आरोप है कि उच्च शिक्षा विभाग में इन्ही फ़र्मो द्वारा अधिकारियों से मिलीभगत करके और विश्वविद्यालयों में इसी प्रकार की ख़रीदी की जा रही है. यह भ्रष्टाचार खरीदी विभाग के अधिकारियों द्वारा संबंधित फर्म से साठ-गांठ कर शासन को करोड़ों का चूना लगाया जा रहा है, क्योंकि बाजार में इसकी वास्तविक कीमत 40 लाख रु से अधिक नहीं है.
सवाल यह भी उठाया गया है कि फर्नीचर, खेल सामग्री, कंप्यूटर, प्रिंटर, टीवी, बेडशीट, गद्दा, कारपेट, टाइल्स, AC, माइक, स्पीकर, इंटेरेक्टिव पैनल, सोलर वाटर कूलर आदि सभी सामग्रियों की खरीदी एक या दो फ़र्मों द्वारा कैसे किया जा सकता है. बिना निविदा किये जेम पर कोटेशन पद्धति अपनाते हुए छत्तीसगढ़ भंडार क्रय नियम का खुला उल्लंघन किया जा रहा एवं करोड़ों का संगठित भ्रष्टाचार किया जा रहा है. बावजूद इसके जेम में बंच बीड का प्रावधान है.
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