सत्या राजपूत, रायपुर. नगर पालिका निगम रायपुर में भ्रष्टाचार और अनियमितताओं का मामला सामने आया है, जिसने निगम की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. प्लेसमेंट कर्मचारी संघ का आरोप है कि निगम के अधिकारियों ने ठेका प्रणाली के जरिए अपने रिश्तेदारों को लाभ पहुंचाने के लिए फर्जी पद सृजित किए हैं, जिससे राजकोष को करोड़ों रुपये का नुकसान हो रहा है. वहीं, प्लेसमेंट कर्मचारी समान कार्य के लिए समान वेतन की मांग को लेकर महापौर, सभापति और कमिश्नर से गुहार लगा रहे हैं.

नगर निगम में ठेका प्रणाली के जरिए स्वीकृत हैं ये पद

ठेका प्रणाली में अनियमितता

दस्तावेजों के मुताबिक, नगर निगम के अधीक्षण अभियंता ने पद सृजित किया है. इसी आधार पर कई सालों से इन पदों का ठेका दिया जाता है. इन पदों पर कार्यरत कर्मचारियों को 38,000 से लेकर 97,400 रुपए तक मासिक वेतन दिया जा रहा है.

प्रोजेक्ट मैनेजर -97,400 रुपये
सीनियर मोबाइल ऐप डेवलपर- 65,000 रुपये
बिजनेस एनालिस्ट- 49,000 रुपये
जूनियर प्रोग्रामर, वेब डिजाइनर- 38,000 रुपये
डाटा एंट्री ऑपरेटर- 18,000 रुपये
सर्वेयर-19,500 रुपये

प्लेसमेंट कर्मचारी संघ के अध्यक्ष संजय एड़े ने कहा, समान कार्य करने वाले प्लेसमेंट कर्मचारियों को 8-10 साल के अनुभव के बावजूद मात्र 12,000 से 14,000 रुपये का वेतन मिल रहा है. वर्षों से तकनीकी सहायता, डेटा प्रबंधन और अन्य कार्यों में योगदान दे रहे हैं, लेकिन उन्हें उचित वेतन से वंचित रखा जा रहा है. हमारी मांग है कि हमारे वेतन में बढ़ोतरी की जाए जैसे ठेका कर्मचारियों को दिया जा रहा है.

कर्मचारियों की मांग – समान कार्य, समान वेतन

प्लेसमेंट कर्मचारी संघ के उपाध्यक्ष अजीत कसार ने कहा, महापौर मीनल चौबे, सभापति और कमिश्नर से शिकायत की है कि एक ही कार्य के लिए ठेका कर्मचारियों को कई गुना अधिक वेतन क्यों दिया जा रहा है? उन्होंने मांग की है कि समान कार्य के लिए समान वेतन लागू किया जाए. सचिव खेमू लाल निषाद ने कहा, पद सृजन और सेटअप स्वीकृति का काम संचालनालय और मंत्रालय से होता है, लेकिन निगम के अधिकारी वैकल्पिक व्यवस्था के नाम पर सालों से यह खेल चला रहे हैं.

रिश्तेदारों के लिए खेल

सूत्रों के अनुसार, निगम के अधिकारियों ने ये पद अपने परिजनों और रिश्तेदारों के लिए सृजित किए हैं. आरोप है कि किसी अधिकारी ने अपने साले को, किसी ने साली को तो किसी ने भतीजे को इन ठेका पदों पर नियुक्त किया है. यह खुलासा निगम की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता और निष्पक्षता की कमी को दर्शाता है.

महापौर मीनल चौबे ने दिए जांच के आदेश

महापौर मीनल चौबे ने इस मामले को गंभीरता से लिया है. उन्होंने कहा, पिछली सरकार में निगम में भ्रष्टाचार का बोलबाला था. जैसे ही हमें ठेका प्रक्रिया की जानकारी मिली, हमने तत्काल नए टेंडर को रोक दिया. अधिकारियों को मामले की जांच के आदेश दिए हैं. महापौर ने दोषियों पर कार्रवाई का आश्वासन दिया है.

प्लेसमेंट कर्मचारी संघ ने उठाए ये सवाल

  • पारदर्शिता कहां है? निगम के अधिकारियों ने बिना मंत्रालय की स्वीकृति के ठेका पद क्यों सृजित किए?
  • कर्मचारियों के साथ भेदभाव क्यों?
  • समान कार्य के लिए ठेका कर्मचारियों को लाखों रुपये और प्लेसमेंट कर्मचारियों को मामूली वेतन क्यों?
  • मामले की जांच कब तक? महापौर ने जांच के आदेश दिए हैं, लेकिन इसका परिणाम कब तक सामने आएगा?
  • भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों पर कब और कैसी कार्रवाई होगी?