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नई दिल्ली . दिल्ली के उपराज्यपाल ने भ्रष्टाचार के मामले में राजस्व विभाग के एक अधिकारी की जांच के आदेश दिए हैं. सरकारी काम करने की एवज में अधिकारी पर रिश्वत मांगने का आरोप है. जनकपुरी के रजिस्ट्रार रहे योगेश गौड़ के खिलाफ वर्ष 2019 और 2020 में शिकायत दर्ज कराई गई थी.
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उपराज्यपाल वीके सक्सेना के पास भेजी गई फाइल में जांच के लिए उचित साक्ष्य होने की बात कही गई है. इसके आधार पर उपराज्यपाल ने जांच की मंजूरी दे दी है. एलजी ने कहा कि न्याय के हित में गौड़ के खिलाफ लगाए गए आरोपों की जांच करना आवश्यक है. इसके लिए सतर्कता निदेशालय को भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) से प्राप्त अनुरोध पर कार्रवाई करने का निर्देश देना चाहिए.
सतर्कता निदेशालय ने पाया कि शिकायतकर्ता की ओर से लगाए गए आरोपों को लेकर राजस्व विभाग की ओर से स्पष्टीकरण नहीं दिया गया था.
इसलिए उन्होंने जांच की सिफारिश की थी. सतर्कता निदेशालय ने एलजी के पास भेजे गए प्रस्ताव में बताया कि एसीबी ने मामले की जांच करने की मंजूरी मांगी है. आरोपी अधिकारी विभिन्न कार्यों के लिए पंजीकरण कराने वालों से अपने एजेंटों नवीन बेनीवाल और राहुल के माध्यम से रिश्वत की मांग कर रहा था. रिश्वत नहीं मिलने तक वह दस्तावेजों को लंबित रखता था. इसे लेकर 4 नवंबर, 2019 और 19 मार्च, 2020 को एक शख्स की शिकायत की गई थी.
फाइलें बिना वजह के रोककर रखी गई थीं
प्राथमिक जांच के दौरान पाया गया कि उनके कार्यालय में कई फाइलें बेवजह रोककर रखी गई हैं. पश्चिम जिले के डीएम ने भी माना था कि जांच होनी चाहिए. जांच समिति ने रिपोर्ट में पाया कि आरोपी अधिकारी बिना वरिष्ठ अधिकारियों की अनुमति के देर तक कार्यालय खोलकर रखता था. पार्टी के हस्ताक्षर के बिना भी वह दस्तावेज वितरित करवाते थे.