रायपुर. मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने देश में पसर रही मंदी से निपटने के लिए उद्योग जगत को दी गई ‘सरकारी डोज़’ की कड़ी आलोचना की है तथा कहा है कि डेढ़ लख करोड़ रुपयों की कर-छूट मात्र उद्योगों के मुनाफों को बरकरार रखने की तिकड़म है और इससे आम जनता को कोई राहत नहीं मिलने वाली है.

आज यहां जारी एक बयान में माकपा राज्य सचिवमंडल ने कहा है कि मंदी की असली जड़ आम जनता की लगातार घटती हुई क्रयशक्ति है, जिसके कारण वह अपनी जरूरतों को पूरा नहीं कर पा रहा है और इसके कारण मांग में कमी आ रही है. इस बीमारी का ईलाज केवल आम जनता की क्रयशक्ति को बढ़ाकर ही किया जा सकता है.

माकपा राज्य सचिव संजय पराते ने कहा कि देश में पंजीकृत 8.5 लाख कंपनियों में से आधी 4.5 लाख कंपनियों को करों के दायरे से बाहर ही कर दिया गया है. लेकिन इससे मांग पैदा नहीं होने वाली और न उद्योग खुलेंगे, न रोजगार पैदा होंगे. सरकार की पूरी कसरत अर्थव्यवस्था को सिर के बल खड़े करने की ही है.

माकपा नेता ने कहा कि आम जनता की क्रयशक्ति को बढ़ाने के लिए जनकल्याण के कार्यों पर सरकारी खर्च बढ़ाने की जरूरत है, जबकि इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही में पिछले वर्ष की तुलना में पूंजीगत व्यय में एक लाख करोड़ रूपये से ज्यादा की कटौती की गई है. जनता की क्रयशक्ति को बढ़ाने तथा मांग पैदा करने के लिए माकपा ने मांग की है कि कृषि व ग्रामीण संरचना के निर्माण में सरकारी खर्च बढ़ाने, मनरेगा की बकाया मजदूरी का भुगतान करने व 200 दिनों तक काम 600 रूपये रोजी पर देने, किसानों को ऋणमुक्त करने और उनकी फसल की लागत का डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य के रूप में देने, बेरोजगारी भत्ता देने, वृद्धों व विधवाओं को पेंशन देने, सार्वजनिक क्षेत्र के निजीकरण-विनिवेशीकरण पर रोक लगाने और पेट्रोल-डीजल की कीमत कम करने की मांग की है.

माकपा ने कहा है कि वामपंथी पार्टियों के देशव्यापी आह्वान पर 10-16 अक्टूबर तक पूरे छत्तीसगढ़ में विरोध सप्ताह मनाया जाएगा तथा धरने, प्रदर्शन, रैलियां, सत्याग्रह आदि आयोजित किए जायेंगे. इसके पूर्व आम जनता के बीच व्यापक जागरूकता अभियान चलाया जायेगा.