उत्तर प्रदेश के कानपुर में 22 साल से तलाक के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रहे दंपती समझौता करके एक दूसरे का हाथ पकड़े अपने उस घर को लौट गए, जिसे सजाने के लिए उन्होंने न जाने कितने सपने संजोए थे। मौका था राष्ट्रीय लोक अदालत का। जाने से पहले उन्होंने अपने अनुभव से नवदंपतियों को सलाह भी दी कि उनकी जैसी गलती न करें। अलग होने से पहले एक बार आपस में बात जरूर करें।

दरअसल, 55 वर्षीय बर्रा निवासी अशोक कुमार और स्नेहलता की शादी करीब 30 साल पहले हुई थी। दोनों के एक बेटी व एक बेटा है। शादी के बाद से उनके बीच छोटी-छोटी बातों को लेकर तनाव रहने लगे। नतीजा शादी के चार सालों बाद दोनों अलग हो गए और वर्ष 2000 में उन्होंने अदालत में तलाक के लिए कानूनी लड़ाई शुरू कर दी।

नाती ने साथ रहने को किया प्रेरित

वर्ष 2001 में स्नेहलात को तलाक मिल भी गया, मगर मामला दोबारा अदालत में चला गया। इस बीच दोनों कानूनी लड़ाई लड़ते रहे और उधर बच्चे बड़े होते गए। इनके तलाक का मामला राष्ट्रीय लोक अदालत में एडिशनल प्रिंसिपल फैमिली जज आलोक अग्निहोत्री की अदालत में पहुंचा। जहां एक ओर न्यायालय ने दंपती को साथ रहने के लिए प्रेरित किया, वहीं बेटी, बेटे और नाती ने भी मनाया। आखिरकार दोनों ने अपने दिलों का मैल बाहर निकालकर साथ रहने का फैसला किया।

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