नई दिल्ली. उच्च न्यायालय ने फिल्मों और टीवी शो के दौरान तंबाकू विरोधी चेताबनी संदेश प्रदर्शित करने के खिलाफ याचिका दायर करने पर एक वकील की खिंचाई की. अदालत ने उसे दो दिन के भीतर माफी का हलफनामा दाखिल करने को कहा है. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मिनी पुष्करणा की पीठ ने वकील से कहा कि दो दिन के भीतर जो कुछ हुआ है उसके लिए उन्हें खेद का हलफनामा देना होगा, फिर हम इन टिप्पणियों को हटा देंगे.
इस मामले में पूरी तरह खेद की जरूरत है, इससे कम कुछ भी नहीं. ढपीठ एकल-न्यायाधीश द्वारा की गई टिप्पणियों के खिलाफ वकील की अपील पर सुनवाई कर रहा है, जिसने पहले उसकी याचिका खारिज कर दी थी. खंडपीठ ने कहा कि वह एकल न्यायाधीश से पूरी तरह सहमत है और याचिका बिल्कुल गलत है.
न्यायमूर्ति मनमोहन ने टिप्पणी की “इस आदमी को एक सुधार की जरूरत है. विद्वान एकल न्यायाधीश ने जो कहा है, वह बिल्कुल सही है. याचिका कभी दायर नहीं की जानी चाहिए थी.”
एकल न्यायाधीश ने वकील की याचिका खारिज करते हुए कहा था कि सरकार को तंबाकू के खिलाफ जागरूकता पैदा करने से रोकने के लिए तंबाकू उद्योग लॉबी द्वारा इसका समर्थन किया गया था.
वकील को भविष्य में तुच्छ याचिकाएं दायर करने के खिलाफ चेतावनी देते हुए, न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने यह भी कहा था कि याचिका को अनुकरणीय लागत के साथ खारिज कर दिया जाना चाहिए.
अदालत ने कहा था, “लेकिन याचिकाकर्ता, जो एक युवा वकील है, जिसका भविष्य उज्ज्वल है, को देखते हुए, यह अदालत याचिकाकर्ता पर कोई भी टिप्पणी करने से खुद को रोकती है, जिसका उसके भविष्य पर असर पड़ सकता है.”
खंडपीठ ने यह भी कहा कि याचिका तंबाकू उद्योग की मदद के लिए है. हालांकि, अपीलकर्ता (वकील) का प्रतिनिधित्व करने वाले `वकील ने कहा कि ऐसा नहीं है.