दिल्ली. हाईकोर्ट ने नाबालिग बच्ची को घर में नौकरानी रखने वाले दंपती पर दर्ज एफआईआर खारिज करने की एवज में देसी प्रजाति के छह फीट ऊंचे 100 पेड़ लगाने व पीड़िता को डेढ़ लाख रुपये मुआवजा देने का निर्देश दिया है।

न्यायमूर्ति नजमी वजीरी ने बच्ची को दंपती के यहां नौकरानी रखवाने वाले आरोपी एजेंटों को पड़ों को लगाने व उनकी देखभाल करने में श्रमदान करने का निर्देश दिया। अदालत ने इन दोनों को भी दस-दस हजार रुपये का मुआवजा पीड़िता को देने के लिए कहा है। साथ ही 100 पेड़ भी लगाने होंगे।

सभी आरोपियों को दक्षिण जिला उप वन संरक्षक से संपर्क करने और दस दिनों के भीतर पेड़ लगाने का निर्देश दिया है। अदालत ने यह भी कहा कि पेड़ देशी प्रजाति के साढ़े तीन साल की आयु तथा कम से कम छह फुट ऊंचे होने चाहिए। पेड़ लगाए जाने के बाद उप वन संरक्षक उनकी तस्वीरों सहित शपथ पत्र पेश कर 25 मार्च तक कोर्ट को अगवत करवाएंगे।

पेश मामले में राजौरी गार्डन थाने में बंधुआ मजदूरी, चोट पहुंचाने तथा जुवेनाइल जस्टिस अधिनियम के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी। रिपोर्ट में कहा गया था कि बच्ची को एजेंटों के जरिए काम पर लगाया गया था और वह करीब तीन माह से दंपती के घर में बंधक थी। बच्ची को आरोपी एजेंट उसके पिता की सहमति से लेकर आए थे। बच्ची को काम करने की एवज में दंपती कोई पैसे भी नहीं देते थे और गलती होने पर उसकी पिटाई की जाती थी।