दिल्ली. एक ट्रक चालक ने लापरवाही से सड़क पर खड़े युवक को कुचल दिया, जिसकी मौके पर ही मौत हो गई। घटना के करीब 20 साल बाद अदालत ने आरोपी ट्रक चालक को तेज रफ्तार से वाहन चलाने और लापरवाही से युवक की मौत का जिम्मेदार ठहराया है। अदालत ने ट्रक चालक वीरेन्द्र सिंह को नौ महीने की जेल की सजा सुनाई है।
रोहिणी स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश संजीव अग्रवाल की अदालत ने सजा में नरमी बरतते हुए कहा कि अभियुक्त ने करीब दो दशक तक कानूनी प्रक्रिया का सामना किया है। बेशक उसका अपराध बड़ा है, लेकिन सजा से कहीं ज्यादा प्रताड़ना अभियुक्त ने अदालती चक्कर में झेली है।
इसी को ध्यान में रखते हुए ट्रक चालक वीरेन्द्र सिंह को नौ महीने जेल की सजा सुनाई जा रही है। अदालत ने यह भी कहा कि जिस समय यह अपराध हुआ था उस वक्त आरोपी 30 साल के लगभग का था, लेकिन अब उसकी उम्र 50 वर्ष से अधिक हो चुकी है। उसके कंधों पर परिवार की जिम्मेदारियां हैं। लिहाजा उसकी पारिवारिक हालात और कानूनी प्रक्रिया में देरी के मद्देनजर अभियुक्त को राहत दिया जाना न्यायसंगत है।
यह घटना 20 अक्तूबर 1999 को मॉडल टाउन इलाके में हुई थी। 22 वर्षीय कैलाश एक अन्य ट्रक पर हेल्पर था। घटना वाले दिन वह पेट्रोल पंप के पास सड़क पर खड़ा था। तभी एक तेज रफ्तार ट्रक ने उसे कुचल दिया था। हादसे में कैलाश की मौत हो गई थी।
इस मामले में मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत ने अभियुक्त वीरेन्द्र को एक साल जेल की सजा सुनाई थी। इस फैसले को अभियुक्त ने सत्र अदालत में चुनौती दी। सत्र अदालत ने मुकदमे के लंबे चलने को न्यायिक प्रक्रिया की पीड़ा माना। इसी को ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने अभियुक्त वीरेन्द्र सिंह को निचली अदालत से मिली एक साल की सजा को घटाकर नौ महीने कर दिया।
अदालत ने अभियुक्त वीरेन्द्र सिंह पर 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। अदालत ने यह रकम मुआवजे के तौर पर मृतक कैलाश के परिवार को देने के आदेश दिए हैं। अदालत ने कहा, वीरेंद्र की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है कि वह इससे ज्यादा का जुर्माना भर पाए।