वाराणसी। स्थानीय अदालत ने विश्वनाथ मंदिर से सटे ज्ञानवापी परिसर का रडार तकनीक से पुरातात्विक सर्वेक्षण कराने की दे दी है. फास्ट ट्रैक कोर्ट आशुतोष तिवारी की अदालत ने 1991 से चल रहे मामले में दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद फैसला सुरक्षित कर लिया था. अदालत ने अब आर्कियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया को अपने खर्चे पर सर्वेक्षण कराने का निर्देश दिया है. इसके अलावा ऑब्जर्वर के नेतृत्व में पांच सदस्यीय कमेटी गठन करने को भी कहा है.
सिविल जज (सीनियर डिवीजन फास्टट्रैक) आशुतोष तिवारी ने ज्ञानवापी मामले में वाद मित्र विजय शंकर रस्तोगी द्वारा परिसर का पुरातात्विक सर्वेक्षण कराने की अर्जी स्वीकार कर ली. पिछले तिथि पर कोर्ट ने पक्षकारों की बहस दलील सुनने के बाद आठ अप्रैल के लिए आदेश सुरक्षित कर लिया था. ज्ञानवापी मामले में पुरातात्विक सर्वेक्षण कराने के वाद मित्र विजय शंकर रस्तोगी की अपील (प्रार्थना पत्र) को अदालत ने मंजूर कर लिया है. वहीं सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अधिवक्ता अभय नाथ यादव ने फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट जाने की बात कही है.
अदालत में प्राचीन मूर्ति स्वयंभू लार्ड विश्वेश्वरनाथ के वाद मित्र विजयशंकर रस्तोगी की तरफ से वर्ष 1991 से लंबित इस प्राचीन मुकदमे में आवेदन दिया था, जिसमें कहा गया कि मौजा शहर खास स्थित ज्ञानवापी परिसर के आराजी नंबर 9130, 9131, 9132 रकबा एक बीघे नौ बिस्वा जमीन का पुरातात्विक सर्वेक्षण रडार तकनीक से करके यह बताया जाए कि जो जमीन है, वह मंदिर का अवशेष है या नहीं. साथ ही विवादित ढांचे का फर्श तोड़कर देखा जाए कि 100 फीट ऊंचा ज्योतिर्लिंग स्वयंभू विश्वेश्वरनाथ वहां मौजूद हैं या नहीं. दीवारें प्राचीन मंदिर की हैं या नहीं. रडार तकनीक से सर्वेक्षण से जमीन के धार्मिक स्वरूप का पता चल सकेगा