नई दिल्ली। दिल्ली के रोहिणी इलाके में एक डकैती के संदिग्ध के घर पर पुलिस अधिकारियों द्वारा कराई गई कुत्तों की लड़ाई की घटना को लेकर यहां की एक अदालत ने दिल्ली पुलिस की खिंचाई की. कुत्तों की लड़ाई कराने के आरोपों में घिरी दिल्ली पुलिस के एक एसएचओ और कुछ अन्य पुलिसकर्मियों को अदालत ने फटकार लगाई है. इस लड़ाई में शिकायतकर्ता के एक पालतू कुत्ते ने बुरी तरह से घायल होने के बाद दम तोड़ दिया था.
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परिवार की शिकायत पर रोहिणी कोर्ट ने आरोपी एसएचओ और साथी पुलिसवालों पर केस दर्ज करने का आदेश दिया है. गौरतलब है कि पुलिसकर्मियों पर दिल्ली के बेगमपुर इलाके में एक डकैती के आरोपी के घर रेड करने के दौरान मारपीट करने के साथ कुत्तों की लड़ाई (डॉग फाइट) कराने का भी आरोप लगा है. आरोप है कि पुलिसवालों ने अपने सामने आरोपी के घर पर पिटबुल से घरेलू कुत्ते की लड़ाई करवाई. इसमें घायल घरेलू कुत्ते ने कुछ देर बाद ही दम तोड़ दिया. संदिग्ध के परिवार ने 8 दिसंबर को हुई घटना का एक वीडियो जारी किया था, जो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था. मामला जब उच्च स्तर पर पहुंचा, तो जांच के आदेश दे दिए गए.
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बाद में रोहिणी कोर्ट के मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने भी दिल्ली पुलिस के उत्तरी रेंज के ज्वाइंट सीपी से जांच कराने का आदेश दिया. नए आदेश में अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट बबरू भान ने कहा कि अदालत ने आरोपी के खिलाफ शिकायतकर्ता के आरोपों में सच्चाई पाई है. इसके अलावा कोर्ट ने रोहिणी जिले के पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) को संबंधित स्टेशन हाउस ऑफिसर (एसएचओ) और दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की विभिन्न धाराओं के साथ ही अन्य प्रासंगिक प्रावधानों के तहत मामला दर्ज करने का निर्देश दिया है.
SHO के खिलाफ FIR दर्ज करने का निर्देश
अदालत ने कहा कि चूंकि संबंधित एसएचओ के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया गया है, इसलिए संबंधित संयुक्त पुलिस आयुक्त (सीपी) यह सुनिश्चित करेंगे कि जांच ऐसी एजेंसी और अधिकारी द्वारा की जाए, ताकि जांच की प्रक्रिया में निष्पक्षता सुनिश्चित की जा सके. मामले को 3 जनवरी 2022 को अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने के लिए सूचीबद्ध किया गया है. अदालत ने नोट किया कि आरोपी की पत्नी द्वारा साझा किए गए ऑडियो-वीडियो क्लिप स्पष्ट रूप से किसी आवारा कुत्ते के आरोपी के घर में प्रवेश करने और पालतू कुत्ते से लड़ाई की थ्योरी को खारिज करती है और बताया कि वीडियो में कुछ व्यक्तियों द्वारा एक उग्र कुत्ते को उकसाया जा रहा है, जो कि पुलिस की वर्दी में है.
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आदेश में कहा गया है कि घर की कुछ महिलाओं को रहम की भीख मांगते सुना जा सकता है, इसलिए पुलिस द्वारा दिया गया स्पष्टीकरण शिकायतकर्ता द्वारा प्रस्तुत सामग्री के अनुरूप नहीं है. अदालत ने कहा कि जो भी तर्क हो, अगर पुलिस आरोपी को पकड़ने के लिए हिंसा का सहारा लेती है और सबूत इकट्ठा करने के लिए हिरासत में अत्याचार करती है, तो वह मौलिक अधिकारों के उल्लंघन के लिए जिम्मेदार है, क्योंकि कानून कहीं भी जांच के दौरान सबूत एकत्र करने के उद्देश्य से हिरासत में अत्याचार की अनुमति नहीं देता है.
बताया जा रहा है कि पुलिसकर्मी लूट के आरोपी को तलाशने पहुंचे थे और जब पुलिस की एक टीम उस पते पर पहुंची, तो वहां पर उन पर आरोपी का पालतू कुत्ता भौंकने लगा. आरोप है कि घरेलू कुत्ते का भौंकना दिल्ली पुलिस वालों को नागवार गुजरा और एक पुलिसकर्मी पिटबुल ब्रीड का कुत्ता अपने साथ लेकर आ गया. इसके बाद पिटबुल कुत्ते की फाइट उस साधारण घरेलू कुत्ते से करा दी.
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इस दौरान पीड़ित परिवार ने घटना का वीडियो भी बना लिया. पीड़ित परिवार का कहना है कि इस फाइट में उनके पालतू कुत्ते की मौत हो गई. वहीं दूसरी ओर पुलिस का कहना है कि 8 दिसंबर की रात करीब 10:11 बजे वे संदिग्ध के घर पहुंचे, लेकिन परिजन उन्हें अंदर नहीं जाने दे रहे थे और कोई जवाब भी नहीं दे रहे थे. पुलिस ने कहा कि डकैती का संदिग्ध घर के अंदर मौजूद था, लेकिन परिवार बार-बार इससे इनकार कर रहा था. बाद में काफी मशक्कत के बाद वे घर में दाखिल हुए और उसे पकड़ लिया. पुलिस के अनुसार, इसी बीच एक आवारा कुत्ता भी घर में घुस गया और कुत्तों की लड़ाई शुरू हो गई और इसके बाद कुत्ते भाग गए. तमाम कोशिशों के बाद आरोपी को तड़के तीन बजे पकड़ लिया गया और उसे थाने लाया गया और सुबह साढ़े 6 बजे गिरफ्तार कर लिया गया. हालांकि अदालत ने कहा कि SHO ने न्यायिक कार्यवाही के दौरान ड्यूटी एमएम के समक्ष इस तथ्य को स्वीकार किया था कि आरोपी को 8 दिसंबर 2021 को रात 11.00 बजे गिरफ्तार किया गया था, इसलिए इस समय इस अदालत के पास न्यायिक रिकॉर्ड की अनदेखी करने का कोई कारण नहीं है.
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