हेमंत शर्मा, इंदौर। इंसानियत को शर्मसार करने वाले मामले पर अदालत ने आखिरकार लोहे जैसा फैसला सुनाया है। 2 साल की मासूम बच्ची को उसके ही घर से उठा ले जाना, हैवानियत का शिकार बनाना और मौत के मुहाने पर छोड़ देना। इस जघन्य अपराध के आरोपी ट्रक ड्राइवर दिनेश को जिला कोर्ट ने चार बार आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। 

विशेष पॉक्सो कोर्ट की जज क्षिप्रा पटेल ने इस सनसनीखेज मामले में सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि यह ऐसा अपराध है, जिसे सभ्य समाज में किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। अदालत ने आरोपी को पॉक्सो एक्ट की कई धाराओं में दोषी मानते हुए चार बार उम्रकैद, अपहरण के मामले में 5 साल की सश्रम सजा और 42 हजार रुपए का जुर्माना ठोका है। इसके साथ ही पीड़ित बच्ची के लिए न्यायालय ने 3 लाख रुपए की सहायता राशि की सिफारिश भी की है।

रात के अंधेरे में रची दरिंदगी

घटना 12 अक्टूबर 2022 की है। एक गरीब परिवार निर्माणाधीन मकान में सो रहा था। दरवाजे नहीं थे, सिर्फ भरोसा था… लेकिन उसी भरोसे की हत्या रात 1:30 बजे हो गई। आरोपी चुपचाप घर में घुसा और 2 साल की बच्ची को गोद से उठाया और उसे ले जाकर ऐसी बर्बरता की कि दिल कांप उठे। फिर उसे झाड़ियों में फेंककर मौत के हवाले कर दिया गया।

CCTV और DNA बने जल्लाद के खिलाफ हथियार

जांच के दौरान पुलिस के हाथ ऐसे सबूत लगे, जिन्होंने आरोपी की पोल खोल दी। इलाके के CCTV कैमरों में आरोपी का ट्रक आता और जाता दिखा। डीएनए रिपोर्ट आई और वह भी ऐसी कि दरिंदा खुद अपने अपराध का गवाह बन गया। वैज्ञानिक जांच ने साबित कर दिया कि बच्ची के साथ हुई हैवानियत का आरोपी वही था।

अदालत की दो टूक: न्यूनतम सजा अपराध से भी बड़ा अपराध

न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि “जो आदमी 2 साल की मासूम बच्ची पर हाथ उठा सकता है, उसे समाज में जीने का हक नहीं। ऐसे दरिंदों के लिए नरमी, दरअसल समाज के साथ गुनाह है।”

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