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पन्ना. शहर में जनता को दूषित पानी सप्लाई को लेकर न्यायालय ने जिम्मेदारों पर एफआईआर के निर्देश दिए हैं. न्यायालय के निर्देश के बाद संबंधित विभाग के अधिकारियों में हडकंप की स्थिति है. संभवत: दूषित पानी को लेकर जिले में इस तरह का यह पहला मामला है. न्यायालय ने नगर पालिका के खिलाफ दायर एक परिवाद पर पालिका के तत्कालीन सीएमओ और अध्यक्ष के खिलाफ एफआईआर के निर्देश दिए हैं.
नगर पालिका पन्ना का मामला
जानकारी के अनुसार जून 2019 में पूरे पन्ना जिले में दूषित पानी की सप्लाई की जा रही थी. नगरवासी नगर पालिका पन्ना में लगातार इसकी शिकायत कर रहे थे. कई पार्षदों ने भी नगर पालिका अध्यक्ष और सीएमओ को लिखित आवेदन दिए थे. उनके आवेदनों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. तब वार्ड क्रमांक 19 के पार्षद फिरोज खान और वार्ड क्रमांक 2 के पार्षद जयराम व्यास ने माननीय सीजेएम न्यायालय में एक परिवाद प्रस्तुत किया.
लैब में पानी को दूषित पीने लायक नहीं बताया था
परिवाद में न्यायालय को बताया कि लोग दूषित पानी को पीकर बीमार हो रहे हैं. दूषित पानी के जब्त सैंपल को टेस्ट के लिए प्रयोगशाला में भेजा गया. लैब की रिपोर्ट में पता चला कि पालिका का पानी पीने योग्य नहीं है और इसमें लोगों की जान के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. ऐसे में न्यायालय ने तत्कालीन नगर पालिका अध्यक्ष मोहन लाल कुशवाहा और तत्कालीन नगर पालिका सीएमओ अमजद गनी पर अपराधिक मामला कोतवाली पन्ना में दर्ज करने के निर्देश दिए हैं.
नगर पालिका में थे तत्कालीन अध्यक्ष भाजपा के समर्थक
शिकायतकर्ता के वकील रामलखन त्रिपाठी ने बताया कि जैसे ही यह आदेश पारित हुआ पूरे नगर पालिका में हड़कंप मच गया. नगर पालिका में तत्कालीन अध्यक्ष भाजपा के समर्थक थे. वर्तमान में राज्य में भाजपा की सरकार है. क्या पार्टी की सरकार में पूर्व अध्यक्ष और अधिकारी के खिलाफ एफआईआर हो पाएगी, यह अहम सवाल है? अब आने वाला समय ही बताएगा कि आखिर एफआईआर कब तक होगी.