दिल्ली. आज एक महत्वपूर्ण मामले में दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सुनवाई करेंगे. अगर इस याचिका की मांगें हाईकोर्ट मान लेता है तो आपराधिक चरित्र के उम्मीदवारों के लिए आफत आ जाएगी.
अगले महीने देश के पांच राज्यों की विधानसभा के चुनाव होने हैं. इसके लिए सभी पार्टियां औऱ नेता जोर-आजमाइश में लग गए हैं. हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा था कि प्रत्येक उम्मीदवार को अपने शपथ-पत्र में अपने खिलाफ चल रहे आपराधिक मामलों का विवरण देना होगा. इतना ही नहीं उसके अपराधों की जानकारी पार्टी को अपनी वेबसाइट पर भी डालनी होगी.
सुप्रीम कोर्ट के इसी फैसले को लागू करवाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट अश्विनी उपाध्याय ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर कर मांग की है कि चुनाव आयोग ने चुनावों की तारीखें तो घोषित कर दी हैं लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन कैसे होगा. इस बारे में कोई भी गाइडलाइन जारी नहीं की है. इसलिए वह तत्काल आदेश जारी कर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन कराने के निर्देश चुनाव आयोग को जारी करे.
इस याचिका पर आज दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस राजेंद्र मेनन सुनवाई करेंगे. याचिका में कहा गया है कि हर प्रत्याशी के आपराधिक रिकार्ड की जानकारी उसके प्रचार के लिए लगाए बैनर, पैंफलेट, होर्डिंग औऱ विज्ञापनों में होना चाहिए. इतना ही नहीं याचिकाकर्ता ने बकायदा एक फार्मेट बनाकर भी कोर्ट में दिया है. इसमें कहा गया है कि प्रचार सामग्री के 33 फीसदी हिस्से पर इस किस्म की जानकारी अंकित होनी चाहिए. यदि किसी वीडियो या आडियो को प्रचार के लिए इस्तेमाल किया जाए तो उसका 33 फीसदी हिस्सा ये बताने में इस्तेमाल हो कि नेता जी पर कितने और क्या आपराधिक मामले हैं. अगर कोई प्रत्याशी ऐसा नहीं करता है तो उसका नामांकन रद्द करने की मांग की गई है.
याचिका में कहा गया कि हर प्रत्याशी अपनी संपत्ति, शैक्षिक योग्यता औऱ अपराध का पूरा ब्यौरा तीन-तीन बार हिंदी औऱ अंग्रेजी अखबार में औऱ तीन-तीन बार हिंदी और अंग्रेजी चैनल में प्रसारित करवायें. यही काम हर राजनीतिक दल भी अपने उम्मीदवारों के लिए करे.
अगर ये अपील मान ली गई तो वाकई में दागी चरित्र के नेताओँ के लिए खासी मुश्किल खड़ी हो जाएगी. आज सबकी नजर दिल्ली हाईकोर्ट के इस फैसले पर टिकी है.