रायपुर। ए 1 और ए2 दूध को लेकर पूरी दुनिया में बहस छिड़ी है. भारत में यह बात बड़ी जोर-शोर से प्रचारित किया जा रहा है कि विदेशी गाय केवल ए1 दूध देती है जो नुकसानदेह है और देसी गाय ए1 दूध देती है जो लाभदायक है. हकीकत में ऐसा नहीं है.
दूध के बारे में 85% पानी होता है। शेष 15% दूध चीनी लैक्टोज, प्रोटीन, वसा और खनिज है. बीटा-केसीन दूध में कुल प्रोटीन सामग्री के बारे में 30% है. ए 2 दूध बीटा-कैसिन प्रोटीन का केवल ए 2 प्रकार जबकि A1 दूध केवल A1 बीटा कैसिन या a1a2 प्रकार संस्करण में शामिल होता है. पिछले कुछ सालों में ए2 दूध का चलन काफी बढ़ा है क्योंकि ए1 दूध से शरीर को नुकसान पहुंचने की बात सामने आई है.
ए2 दूध कई बीमारियों से लड़ने में काफी असरकारक माना जाता है. यह मुख्य रुप से मोटापा, बच्चों को होने वाली डायबिटीज़, कैंसर, पाचन में गड़बड़ी और हार्मोनल गड़बड़ियों से बचाता है.
लेकिन इस तथ्य को तोड़-मोड़ कर ऐसे पेश किया गया है जैसे देसी गौवंश केवल ए2 दूध पैदा करते हैं और विदेशी गौवंश केवल ए1. ये अच्छी बात है कि देसी गौवंश को बचाने उनके संवर्धन के लिए कई प्रयास किये जा रहे हैं. लेकिन इसके प्रसार- प्रसार में ऐसी अधूरी और भ्रामक फैलाई जा रही हैं जो पूरी तरह से सही नहीं है.
देसी गौवंश विशेषज्ञ बताते हैं कि कि जिस गाय की नाभी और हम्फ होता है उसी का दूध ए2 टाइप का होता है क्योंकि इन गायों के हंफ में सूर्यकेतु नाम की नाड़ी होती है जो सूर्य के प्रकाश से जागृत होकर दूध को पीला करती हैं. इस बात का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है. लेकिन फिर इसे सत्य मान लिया जाता है. जबकि व्यवहार में देखा गया है कि गांव की वो गाय भी पीला दूध देती हैं जिनका हंफ नहीं होता है.
वैज्ञानिक रुप से सूर्यकेतु नाड़ी के दावे को दुनिया की सबसे ज़्यादा ए2 दूध देने वाली गाय झूठलाती है. ये गाय भारत की नहीं बल्कि गुर्न्सी की है. जगह पर इसका नाम गुर्न्सी ही पड़ा है. इस गाय की पीठ पर हंफ नहीं होता लेकिन ये अपने पीले दूध के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है. अमेरिका सहित पूरी दुनिया में यह ए2 दूध की सबसे बड़ी स्त्रोत है. इस गाय का रंग भी गोल्डन होता है. पीठ पर सफेद पट्टियां होती हैं. आकार में यह जर्सी की तरह होती है. अध्ययन के मुताबिक इसमें 96 फीसदी तक ए2 दूध होता जबकि वहां के होलिस्ट्रियन में यह 25 फीसद और जर्सी में 33 फीसदी होता है.
हांलाकि ये बात भी सही है कि ज़्यादातर भारतीय गौवंश ए2 टाइप दूध देते हैं. लेकिन सभी ऐसा किसी गौवंश के साथ नहीं होते. हर गौवंश चाहे वो देसी हो या विदेशी उनमें ए1 और ए2 टाइप दूध देने वाले दोनों पाए जाते हैं. जर्सी और एचएफ जैसी प्रजातियों में ए1 दूध देने वाले गायों की संख्या ज़्यादा होती है और देसी नस्लों में ए2 ज़्यादा. लेकिन पिछले 50 सालों में क्रास ब्रीड जिस तादाद में पूरी दुनिया में हुए हैं उससे ये स्थिति पैदा हुई है. लेकिन ए1 या ए2 दूध का पता केवल लैब जांच के बाद ही चल सकता है.
रायपुर में ए1 और ए2 दूध की जांच करने वाली संस्था के प्रमुख राजेंद्र तंबोली भी कहते हैं कि गाय को देखकर ये नहीं बताया जा सकता कि वो ए1 दूध देती है या ए2. केवल लैब में जांच के बाद ही यह बात बताई जा सकती है. आने वाले दिनों में ए2 दूध का उसके फायदे को देखते हुए मार्केट का व्यापक विस्तार होना है. लेकिन इसकी आड़ में लोगों को अवैज्ञानिक बातें बताकर उन्हें भ्रमित करना बेदह खतरनाक है.