फीचर स्टोरी । देश भर में छत्तीसगढ़ मॉडल की चर्चा है. चर्चा छत्तीसगढ़ के ग्रामीण अर्थव्यवस्था की. चर्चा गोधन न्याय योजना और योजना से मजबूत हुई अर्थव्यवस्था की. दरअसल छत्तीसगढ़ में गोधन न्याय योजना महिला समूहों के लिए धन अर्जन की सबसे बड़ी योजना भी बन गई है. और गोधन के साथ सड़क पर कहीं भी पड़ा रहने वाला गोबर बहुमूल्य हो चला है. राज्य में गोबर की कीमत को सब पहचाने लगे हैं. गोबर की खरीदी और बिक्री के साथ सबसे बड़ा काम हुआ है गोबर खाद और वर्मी कम्पोस्ट निर्माण का. इससे आज महिला स्व-सहायता समूह की महिलाएं जहाँ आर्थिक रूप से सक्षम हो रही हैं, ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बल मिल रहा है.
इस रिपोर्ट में गोबर के बहुमूल्य होने की कहानी के साथ बात करेंगे एक महिला समूह की कमाई की, जिन्होंने दो वर्ष में 93 लाख टर्नओवर के साथ रिकॉर्ड बना दिया है.
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से करीब चार सौ किलोमीटर दूर उत्तर छत्तीसगढ़ में एक आदिवासी बाहुल्य जिला है कोरिया. कोरिया से जिसकी पहचान कोयलांचल के रूप में है. लेकिन अब इस जिले की पहचान एक महिला समूह को लेकर भी जिन्होंने 93 लाख टर्न ओवर गोबर से प्राप्त कर एक रिकॉर्ड बना दिया है.
कहानी की शुरुआत होती है मनेन्द्रगढ़ की रहने वाली प्रीत टोप्पो से. प्रीति आर्थिक रूप से कमजोर परिवार से आती हैं. आर्थिक रूप से कमजोर प्रीति भी बेरोजगारी से जुझती रही है. प्रीति कठिन संघर्ष के साथ अपनी चुनौतियों के बीच जिंदगी गुजार रही थीं. लेकिन वक्त बदला है. बदलाव का यह वक्त था साल 2020 का है. साल 2020 में राज्य सरकार की सबसे महत्वकांक्षी योजना गोधन न्याय की शुरुआत. योजना का उद्देश्य गायों का संरक्षण के साथ ही राज्य को जैविक राज्य बनाना है. योजना के तहत सरकार ने 2 रुपये किलो गोबर की खरीदी शुरू की.
प्रीति ने इस योजना के साथ खुद को जोड़ना शुरू किया. उन्होंने महिलाओं को जोड़कर एक समूह का निर्माण किया. समूह का नाम रखा- स्वच्छ मनेन्द्रगढ़ क्षेत्र स्तरीय संघ. समूह के साथ ही उन्होंने जीवन में एक नए सफर की शुरुआत की. प्रीति ने महिला समूह के साथ गोधन के तहत गोबर संग्रहण और फिर वर्मी कम्पोस्ट निर्माण शुरू किया.
घरवाले नहीं थे तैयार
प्रीति बताती हैं कि जब उन्होंने इस कार्य को प्रारंभ किया तो घरवाले तैयार नहीं थे. घर के लोग नहीं चाहते थे कि मैं गोबर के कार्य को अपनाऊँ. लेकिन मैं पूरी तरह से तैयार थी. मैं महिला साथियों के साथ आगे बढ़ी और बढ़ती ही गई. गोबर संग्रहण करन समूह ने वर्मी कम्पोस्ट निर्माण करना प्रारंभ किया. विक्रय के साथ ही लाभ मिलना शुरू हुआ.
प्रीति कहती हैं कि शुरुआती लाभांश में उन्होंने 50 हजार रुपये तक आय अर्जित की. इससे पारिवार को आर्थिक मदद मिली और उसे आगे बढ़ते रहने की प्रेरणा. घर के लोग शुरुआती दिनों में नाराज थे, लेकिन अब वे गर्व के साथ मेरा साथ देते हैं. परिवार के साथ ही आज समाज में मान-सम्मान बढ़ा है.
9 लाख 30 हजार किलो वर्मी खाद का उत्पादन और विक्रय
प्रीति कहती हैं कि समूह में 73 महिलाएं हैं. गौठान में वर्मी कम्पोस्ट खाद उत्पादन के काम से जुड़ी कोई महिला निर्धन परिवार से है तो किसी ने कभी घर से बाहर निकलकर कभी काम नहीं किया. इस काम से हुई कमाई ने उन्हें अपने परिवार का मजबूत स्तंभ बनाया है. उन्हें आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता का रास्ता दिखाया है. समूह द्वारा अब तक 9 लाख 30 हजार किलोग्राम वर्मी कम्पोस्ट खाद उत्पादन कर बेचा गया है जिसके एवज में समूह को 93 लाख रूपए का भुगतान किया गया है.
…जब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से हुई मुलाकात
प्रीति का कहना है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के भेंट-मुलाकात कार्यक्रम में उनसे बातचीत करने के बाद उनके समूह का हौंसला और बढ़ गया है. उन्होंने हमारा हौसला बढ़ाया और कहा कि गौठान का टर्नओवर जल्द ही एक करोड़ हो जायेगा. उनकी इस बात ने समूह में नई ऊर्जा का संचार किया है और समूह की सभी महिलाएं इस दिशा में दुगुनी मेहनत कर रही हैं.
कचरा कलेक्शन से जब बात आगे बढ़ी
प्रीति बताती है कि समूह से जुड़ी महिलाओं के पास कचरा कलेक्शन का काम था. लेकिन अब कचरा कलेक्शन के साथ हमारा दायरा काफी आगे बढ़ चुका है. समूह में काम करने वाली ज्यादातर महिलाएं आर्थिक रूप से बेहद कमजोर परिवार से है. लेकिन अब प्रत्येक महिला 6 हजार रुपये तक मासिक आमदनी प्राप्त कर रही हैं. कचरा कलेक्शन के साथ खाद निर्माण का काम निरंतर जारी है और प्रगति भी.
कोरिया जिले का रिकॉर्ड
गौरतलब है क पूरे छत्तीसगढ़ में 75 लाख क्लिंटल गोबर खरीदी हो चुकी है. इसमें 20 लाख क्विंटल वर्मी खाद का निर्माण किया चुका है. वहीं कोरिया जिले में भी 1 लाख 30 हजार वर्मी कम्पोस्ट और सुपर कम्पोस्ट का उत्पादन किया गया. इसमें 92 हजार 805 क्विंटल वर्मी खाद का विक्रय किया जा चुका है. इसके एवज में समूहों को 9.28 करोड़ रुपये की आय हुई है. इसमें समूहों का लाभांश 3.52 करोड़ रुपये रहा है. कोरिया जिले में अभी 332 गौठानों में 342 स्थानों पर गोबर की खरीदी की जा रही है.
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