रायपुर। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने बिलासपुर के ‘अपना घर’ में रह रही 14 एचआईवी संक्रमित नाबालिग बच्चियों को जिला प्रशासन द्वारा बेघर किए जाने, बेघर करने के लिए इन मासूम बच्चियों को निर्ममता पूर्वक पीटने और प्रशासन के बेदखली के आदेश के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ रही अधिवक्ता प्रियंका शुक्ला को गिरफ्तार किए जाने और घटना के दौरान उनकी नारी-गरिमा पर हमला किये जाने की कड़ी निंदा की है. माकपा ने मांग की है कि बिलासपुर में घटी इस घटना का हाई कोर्ट स्वतः संज्ञान लें.

माकपा राज्य सचिव मंडल ने बयान जारी कर कहा है कि इस घटना से यह स्पष्ट है कि महिला व बाल विकास विभाग के अधिकारियों को संस्था के लिए स्वीकृत अनुदान राशि में से 30% कमीशन देने से इनकार करने के कारण ही इन बच्चियों को अमानवीय तरीके से बेदखल किया गया है, जबकि यह प्रदेश का एचआईवी बच्चियों के लिए एकमात्र आश्रय स्थल था.

माकपा राज्य सचिव संजय पराते ने कहा है कि इस घटना से स्पष्ट है कि प्रशासन में किस कदर भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी फैली हुई है. एचआईवी पीड़ित बच्चियों के मामले में भी यह सरकार कोई संवेदना नहीं रखती, क्योंकि इन बच्चियों के ‘अपना घर’ का पूरा मामला सरकार के नजर में था और सरकार की जानकारी और उसके संरक्षण में यह सब हुआ है.

माकपा ने कहा है कि इन बच्चियों को प्रशासन ने ही इस संस्था को सौंपा था, जहां उन्हें पारिवारिक वातावरण दिया गया है. अब यह बच्चियां अपना घर छोड़ना नहीं चाहती, तो यह प्रशासन और सरकार का कर्तव्य है कि बच्चियों के भरण- पोषण, शिक्षा, स्वास्थ्य व देखरेख का उचित इंतजाम संस्था के माध्यम से करें. इस तरह ओछे हथकंडे अपनाकर इन बच्चियों को बेदखल करने का कोई अधिकार सरकार और प्रशासन के पास नहीं है. सरकार और प्रशासन ने इन बच्चियों के सर्वोत्तम हितों को ध्यान में रखे बिना, उनकी मर्जी के खिलाफ उन्हें अन्यत्र स्थानांतरित करने की जो कार्यवाही की है, वह बाल अधिकार अधिनियम, 2005 और किशोर न्याय अधिनियम, 2015 की धारा 2 (9) का सीधा-सीधा उल्लंघन है. माकपा ने इन बच्चियों को बाल अपराधियों के साथ रखे जाने पर भी कड़ी आपत्ति जताई है.

माकपा नेता पराते ने इन बेघर बच्चियों का पुनः ‘अपना घर’ में पुनर्वास करने, संस्था के लिए स्वीकृत अनुदान राशि बिना किसी कमीशन खोरी के उसे दिए जाने और बच्चों व उनके अधिवक्ता के साथ मारपीट करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है. माकपा ने कहा है कि चूंकि यह पूरा मामला हाईकोर्ट की नजर में है, अतः उसे इस मामले का तुरंत संज्ञान लेकर सरकार व प्रशासन के खिलाफ कार्रवाई करना चाहिए और बच्चियों के पुनर्वास के संबंध में उचित आदेश देना चाहिए.