रायपुर। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने मोदी सरकार की जन विरोधी नीतियों के खिलाफ पूरे देश में सप्ताहव्यापी अभियान चलाने का आह्वान किया है। इस अभियान को कोरोना संकट से निपटने के लिए आम जनता को मुफ्त खाद्यान्न और नगद धनराशि से मदद करने, गांवों में मनरेगा का दायरा बढ़ाने और शहरी रोजगार गारंटी योजना लागू करने, बेरोजगारों को भत्ता देने और आम जनता के मौलिक अधिकारों की गारंटी करने जैसे मुद्दों पर केंद्रित किया जाएगा।

माकपा के छत्तीसगढ़ राज्य सचिवमंडल ने 22 सितम्बर को पूरे प्रदेश में विरोध प्रदर्शन करने का आह्वान किया है। इसके अलावा, इस अभियान के दौरान सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के मकसद से अल्पसंख्यकों पर किये जा रहे हमले, महिलाओं, दलितों, आदिवासियों पर बढ़ रहे अत्याचार, राष्ट्रीय संपदा की लूट के लिए निजीकरण की नीतियों को लागू करने और श्रम कानूनों का खात्मा करने, आम जनता की नागरिक स्वाधीनता और जनवादी अधिकारों पर बड़े पैमाने पर हमले करने जैसे मुद्दों को भी उठाया जाएगा। मजदूरों और किसानों के संगठनों ने माकपा के इस राजनैतिक अभियान को समर्थन देने की घोषणा की है।

माकपा राज्य सचिव संजय पराते ने आरोप लगाया कि स्वास्थ्य क्षेत्र के बड़े पैमाने पर निजीकरण के चलते मोदी सरकार कोरोना महामारी पर काबू पाने में विफल रही है। इसके ऊपर से देश पर जो अनियोजित और अविचारपूर्ण लॉक डाउन थोपा गया, उसके कारण लोगों की आजीविका नष्ट हो गई और देश एक बड़ी मंदी के दलदल में फंस गया है। उन्होंने कहा कि इस संकट से निपटने का एक ही रास्ता है कि हमारे देश के जरूरतमंद लोगों को हर माह 10 किलो अनाज मुफ्त दिया जाये, आयकर दायरे के बाहर के सभी परिवारों को हर माह 7500 रुपयों की नगद मदद दी जाए और मनरेगा का विस्तार कर सभी ग्रामीण परिवारों के लिए 200 दिन काम और 600 रुपये मजदूरी सुनिश्चित किया जाए। इसके साथ ही शहरों के लिए भी रोजगार गारंटी योजना बनाई जाए और बेरोजगारों को बेरोजगारी भत्ता दिया जाये।

माकपा नेता ने कहा कि उपरोक्त कदम आम जनता की क्रय शक्ति बढ़ाएंगे, जिससे बाजार में मांग बढ़ेगी और औद्यौगिक उत्पादन को गति मिलेगी। यही रास्ता देश को मंदी से बाहर निकाल सकता है। लेकिन इसके बजाय, मोदी सरकार देश की संपत्ति को ही कॉरपोरेटों को बेच रही है और इसके खिलाफ उठ रही हर आवाज का दमन कर रही है। वह संविधान के बुनियादी मूल्यों और नागरिकों के मौलिक अधिकारों के हनन पर तुली हुई है और लोगों में फूट डालने के लिए सांप्रदायिक ध्रुवीकरण करने की तिकड़मबाजी में जुटी है और देशभक्त नागतिकों के खिलाफ यूएपीए जैसे दमनकारी कानूनों का उपयोग कर रही है।

उन्होंने कहा कि इन जनविरोधी नीतियों के खिलाफ आम जनता में व्यापक असंतोष और गुस्सा है और इसको अभिव्यक्ति देने के लिए ही यह देशव्यापी राजनैतिक अभियान चलाया जा रहा है। 22 सितम्बर को इन्हीं मुद्दों को लेकर पूरे छत्तीसगढ़ में फिजिकल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए विरोध प्रदर्शन आयोजित किये जायेंगे।