रायपुर- जनसंपर्क विभाग में राज्य के बाहर की 21 एजेंसियों को दिए गए करोड़ों रूपए के काम पर सवाल उठ गया है. मामले में बड़ी गड़बड़ी की आशंका जताते हुए जांच बिठा दी गई है. आयुक्त तारण प्रकाश सिन्हा ने अनियमितता की जांच के लिए छह सदस्यीय कमेटी का गठन किया है. यह कमेटी टेंडर प्रक्रिया से लेकर एजेंसियों को दिए गए काम की बारीकी से जांच करेगी. छत्तीसगढ़ संवाद के संचालक उमेश मिश्र के नेतृत्व में इस कमेटी का गठन किया गया है.
जनसंपर्क विभाग के अलावा छत्तीसगढ़ संवाद की वित्तीय वर्ष 2018-19 देनदारियों के परीक्षण के दौरान इस गड़बड़ी का खुलासा हुआ था. दरअसल पिछली सरकार ने चुनावी साल में प्रचार-प्रसार सहित अन्य मदों में खर्च होने वाली राशि के लिए करीब ढाई सौ करोड़ रूपए का बजट का प्रावधान किया था, लेकिन आचार संहिता लगने के ठीक पहले तक करीब साढ़े चार सौ करोड़ रूपए के टेंडर जारी कर दिए गए. यानी यह रकम विभाग के लिए अलाटेड ढाई सौ करोड़ रूपए के बजट से दो सौ करोड़ रूपए ज्यादा है. परीक्षण के दौरान जब यह मामला फूटा, तब अधिकारी भी हक्के-बक्के रह गए.
21 एजेंसियों को किया जाएगा टर्मिनेट
विभागीय सूत्र बताते हैं कि कुल 21 बाहरी एजेसियों को करोड़ों रूपए का काम दे दिया गया. कई एजेंसी ऐसी भी हैं, जो टेंडर शर्तों की पात्रता भी पूरी नहीं करती थी, लेकिन उन्हें भी काम दिया गया, लिहाजा विभाग अब इन एजेंसियों को टर्मिनेट करने की प्रक्रिया शुरू करने जा रहा है. जल्द ही इन एजेंसियों को टर्मिनेट कर दिया जाएगा.
जांच कमेटी में ये होंगे सदस्य
छत्तीसगढ़ संवाद के संचालक उमेश मिश्रा के नेतृत्व में गठित की गई कमेटी में स्वराज दास, जमुना सांडिया, पंकज गुप्ता, आर के क्षत्रे और शरतचंद्र पात्र शामिल किए गए हैं. जांच के दौरान कमेटी को यह अधिकार दिया गया है कि जरूरत पड़ने पर तकनीकी विशेषज्ञों से सहयोग भी ले सके.