मणिपुर में BJP की सहयोगी पार्टी, नेशनल पीपुल्स पार्टी (NPP) के विधायक शेख नुरुल हसन ने वक्फ संशोधन कानून(Waqf Amendment Bill) के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट(Suprem Court) में याचिका प्रस्तुत की है. यह पहली बार नहीं है जब बीजेपी की किसी सहयोगी पार्टी के नेता ने वक्फ कानून के खिलाफ याचिका दायर की है; इससे पूर्व जेडीयू के नेता परवेज सिद्दीकी भी इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर चुके हैं. सुप्रीम कोर्ट 16 अप्रैल को वक्फ संशोधन कानून से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई करेगा.

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नुरुल हसन की याचिका में अनुसूचित जनजाति के सदस्यों की संपत्ति को वक्फ करने पर लगी पाबंदी का विरोध किया गया है. याचिका में यह तर्क प्रस्तुत किया गया है कि यदि कोई अनुसूचित जनजाति का व्यक्ति इस्लाम धर्म को अपनाता है, तो उसे अपनी संपत्ति को वक्फ करने से रोकना अनुचित है. याचिकाकर्ता ने यह भी कहा है कि वक्फ की गई संपत्तियों में उत्तराधिकार कानून के प्रावधानों को बनाए रखना गलत है. इसके अलावा, याचिका में यह भी विरोध किया गया है कि केवल पांच साल से मुस्लिम बने व्यक्तियों को ही वक्फ का अधिकार दिया जाए.

याचिका में उल्लेख किया गया है कि वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 की धारा 3ई अनुसूचित जनजातियों के सदस्यों (पांचवीं या छठी अनुसूची के अंतर्गत) के स्वामित्व वाली भूमि को वक्फ संपत्ति के रूप में मान्यता देने से रोकती है. एनपीपी विधायक ने अपनी याचिका में कहा है कि इस कानून में किए गए संशोधन न केवल मनमाने हैं, बल्कि यह मुस्लिम धार्मिक संपत्तियों पर नियंत्रण स्थापित करने का प्रयास भी है.

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याचिका में उल्लेख किया गया है कि कानून में किए गए संशोधन मनमाने प्रतिबंधों को लागू करते हैं और इस्लामी धार्मिक व्यवस्थाओं पर राज्य के नियंत्रण को बढ़ाते हैं. इसमें यह भी कहा गया है कि वक्फ कानून में किए गए परिवर्तन वक्फ के धार्मिक स्वरूप को प्रभावित करेंगे और वक्फ तथा वक्फ बोर्डों के प्रशासन में लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को स्थायी रूप से हानि पहुंचाएंगे.

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वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अब तक 20 से अधिक याचिकाएं दायर की जा चुकी हैं. इनमें से अधिकांश याचिकाएं विपक्षी दलों के नेताओं द्वारा प्रस्तुत की गई हैं, जबकि कुछ मुस्लिम संगठनों और व्यक्तियों ने भी अपनी आपत्ति दर्ज कराई है. हाल ही में, बीजेपी की सहयोगी दो पार्टियों के नेता भी इस कानून के खिलाफ न्यायालय का दरवाजा खटखटा चुके हैं. इस मामले की सुनवाई 16 अप्रैल को चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता में तीन जजों की बेंच द्वारा की जाएगी.