IND vs SA 2nd Test: भारत और साउथ अफ्रीका के बीच खेले जा रहे दूसरे टेस्ट में एक ऐसा फैसला सामने आया जिसने क्रिकेट फैंस को हैरान कर दिया। गुवाहाटी टेस्ट में जहां भारतीय टीम पहली पारी में केवल 201 रन ही बना सकी, वहीं साउथ अफ्रीकी कप्तान टेम्बा बावुमा ने लगभग 288 रन की विशाल बढ़त के बावजूद भारत को फॉलोऑन नहीं दिया। यह फैसला रणनीति का हिस्सा था या फिर एक जोखिम? आइए विस्तार से समझते हैं।

पहली पारी में लड़खड़ाया भारत का बल्लेबाजी क्रम

साउथ अफ्रीका ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 489 रन का बड़ा स्कोर खड़ा किया। टीम की शुरुआत और मध्यक्रम दोनों ही दमदार रहे। इसके जवाब में भारत की शुरुआत बेहद खराब रही और एक समय पर स्कोर 150 तक पहुंचाना भी मुश्किल हो गया था। आखिर में कुलदीप यादव और वॉशिंगटन सुंदर ने संघर्ष करते हुए स्कोर को 200 के पार पहुंचाया, लेकिन टीम फिर भी केवल 201 रन पर सिमट गई।

फॉलोऑन का मौका, लेकिन बावुमा का बड़ा फैसला

288 रन की लीड टेस्ट क्रिकेट में फॉलोऑन देने के लिए काफी होती है। कई कप्तान इतने मौके पर विपक्ष को दोबारा बल्लेबाजी पर बुलाना पसंद करते हैं। लेकिन टेम्बा बावुमा ने ऐसा नहीं किया। यह फैसला सिर्फ चौंकाने वाला ही नहीं, बल्कि बहुत सोच-समझकर लिया गया था।

आखिर क्यों नहीं दिया फॉलोऑन?

बावुमा के पास इसके पीछे दो बड़े कारण हो सकते हैं—

1. गेंदबाजों को आराम देना

साउथ अफ्रीका के गेंदबाजों ने पूरे दिन मेहनत की और भारत की 201 रन की पारी को 90 ओवरों से अधिक में समेटा।
तेज गेंदबाजों की थकान ऐसी स्थिति में बड़ा फैक्टर होती है। बावुमा नहीं चाहते थे कि उनके थके हुए गेंदबाज तुरंत दोबारा गेंदबाजी करें और भारतीय बल्लेबाजों को इसका लाभ मिल जाए।

2. भारत को चौथी पारी में बल्लेबाजी पर धकेलना

फॉलोऑन देने पर यह जोखिम रहता कि भारत कुछ लीड बना ले और साउथ अफ्रीका को चौथी पारी में एक कठिन विकेट पर बल्लेबाजी करनी पड़े। लेकिन तीसरी पारी में खुद बल्लेबाजी करके साउथ अफ्रीका ने भारत को अंतिम पारी में बड़ा लक्ष्य देने का रास्ता चुना। कोलकाता टेस्ट का उदाहरण सामने है, जिसमें टीम इंडिया 125 रन जैसा छोटा लक्ष्य भी हासिल नहीं कर पाई थी।

चौथे दिन साउथ अफ्रीका की बढ़त 500 के पार

चौथे दिन तक साउथ अफ्रीका की बढ़त 504 रन तक पहुंच चुकी है और उम्मीद है कि बावुमा टीम को एक सुरक्षित स्कोर तक पहुंचाकर फिर भारत को अंतिम पारी में चुनौती देंगे। यह स्पष्ट है कि बावुमा का निर्णय एक जोखिम भरा कदम नहीं, बल्कि एक सुनियोजित और रणनीतिक कदम है।

अब देखना दिलचस्प होगा कि भारत इस विशाल लक्ष्य का पीछा कैसे करता है और क्या भारतीय बल्लेबाज साउथ अफ्रीका की धारदार गेंदबाजी के सामने टिक पाते हैं या नहीं।

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