सत्यपाल सिंह,रायपुर। राजधानी रायपुर समेत प्रदेश के कई जिलों में हुई तेज बारिश और ओलावृष्टि के चलते किसानों का फसल पकने से पहले ही बर्बाद हो गया है. सबसे ज्यादा नुकसान दलहन-तिलहन के फसलों को हुआ है. मंगलवार को भी दक्षिण बिहार में बनी द्रोणिका की वजह से दक्षिण छत्तीसगढ़ ज्यादा प्रभावित रहने वाला है. पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव से उपर हवा का चक्रवाति घेरा बना है. पूर्वी और दक्षिणी हवा मिलने वाले क्षेत्र में बादल छाया है और बारिश होने की संभावना है. प्रदेश के उत्तर पूर्व के जिलों में हल्की से मध्यम बारिश और शेष जिलों में एक दो स्थानों पर हल्की वर्षा होने की संभावना है.

मौसम वैज्ञानिक एचपी चंद्रा ने बताया कि फरवरी महीने का जलवायु लक्षण सामान्यता जनवरी माह के समान ही होता है. इस बार हल्की हवाएं उत्तर से आता प्रतीत होता है. शीतकाल की समाप्ति के साथ न्यूनतम तापमान भी बढ़ रहा है. अभी 13.3 डिग्री सेल्सियस से महीने के अंत तक 16.5 डिग्री तक पहुंच जाता है, बहुत कम ऐसा होता है कि 10.0 डिग्री से कम होता है और अधिकतम 35.5 डिग्री पहुंच जाता है. इस माह की औसत वर्षा 15.6 मि.मी. और वर्षा के दिनों की संख्या 1.3 है. उत्तरी भारत से होकर जाने वाले शीतकाल विक्षोभों के प्रभाव से कभी-कभी आकाश बदलों से आच्छादित हो जाता है. गर्जना के साथ वर्षा होने की संभावना होती है. उपलब्ध अभिलेख के आधार पर रायपुर का इस माह अधिक तापमान 38.0 डिग्री सेल्सियस है.

उन्होंने बताया कि दक्षिण बिहार के ऊपर एक साइक्लोनिक सरकुलेशन 1.5 किलोमीटर पर स्थित है और यहां से एक द्रोणिका छत्तीसगढ़ होते हुए तेलंगाना तक गई है. इसके प्रभाव से पूरे छत्तीसगढ़ में हल्की से मध्यम वर्षा होने की संभावना है. राज्य के उत्तर पूर्व के जिलों में हल्की से मध्यम बारिश होने की संभावना है, शेष जिलों में एक दो स्थानों पर हल्की वर्षा हो सकती है.

किसान पारसनाथ ने बताया कि जहां ओलावृष्टी से हुई है, वहां फसल 90 प्रतिशत का फसल खराब हो जाएगा. जहा सिर्फ बारिश हुई वहां 40 से 50 प्रतिशत तक फसल खराब हो जाएगा. दलहन, तिलहन और खब्जी का फसल तो खराब हो गया है. इसके पहले अचानक बारिश ने फसल को तबाह कर दिया था. अब बचा हुआ सब्जी और फसल खराब हो जाएगा. बारिश से किसान परेशान है. शासन को सर्वे कराकर इसकी छतीपूर्ति देना चाहिए, नहीं तो किसान फिर कर्ज में दब जाएगा.