सत्या राजपूत, रायपुर. प्रदेश के समग्र शिक्षा विभाग में 70-100 करोड़ घोटाला का आरोप लगाते हुए एनएसयूआई ने EOW व CBI से मामले की जांच कराकर दोषियों पर FIR की मांग की है. कार्रवाई नहीं होने पर एनएसयूआई ने प्रदर्शन करने का ऐलान किया है. एनएसयूआई के प्रदेश उपाध्यक्ष अमित शर्मा ने कहा, फर्जी दस्तावेजों और दो-तीन लाख रुपए लेकर नियुक्तियां दी गई है. भर्ती नियमों का पालन नहीं किया गया है. इस मामले का पूरजोर विरोध किया जाएगा. बता दें कि लल्लूराम डॉट कॉल ने इस घोटाले को उजागर किया था. इस मामले पर अब एनएसयूआई ने दोषियों पर कार्रवाई की मांग की है.

एनएसयूआई पदाधिकारियों ने कहा, न मैरिट सूची जारी की गई है न ही आरक्षण रोस्टर का पालन किया गया. EOW व CBI मामले की जांच कर दोषियों पर कार्रवाई करे. एनएसयूआई ने चेतावनी दी है कि यदि मांगें नहीं मानी गई तो 28 जुलाई को समग्र शिक्षा कार्यालय में ताला बंद आंदोलन किया जाएगा. जरूरत पड़ने पर प्रदेशव्यापी उग्र प्रदर्शन भी किया जाएगा.

एनएसयूआई ने कहा, प्रदेश के समग्र शिक्षा विभाग में अब तक के सबसे बड़े शिक्षा घोटाला हुआ है. यह घोटाला सुनियोजित षड्यंत्र का परिणाम है, जिसमें लाखों युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया गया है. एक ही दिन में अज्ञात कॉलेजों में परीक्षा कराकर बिना किसी मेरिट सूची, बिना अंक विवरण और मात्र 10 रुपए के स्टाम्प पेपर पर जबरन एग्रीमेंट कराकर हजारों छात्रों को भ्रष्टाचार की बलि चढ़ा दिया गया.

3 से 4 लाख रुपए लेकर की गई नियुक्तियां : अमित शर्मा

एनएसयूआई के प्रदेश उपाध्यक्ष अमित शर्मा ने ज्ञापन के माध्यम से आरोप लगाया है कि छात्रों के साथ धोखा कर बिना किसी पारदर्शिता और मेरिट के नाम पर केवल इंटरव्यू के आधार पर चयन किया गया. एजेंटों के माध्यम से प्रत्येक चयन के बदले 3 लाख से 4 लाख तक की राशि वसूली गई. चयनित अभ्यर्थियों के दस्तावेजों और मार्कशीटों की जांच में फर्जीवाड़ा उजागर हुआ है.

उन्होंने कहा, कोविड महामारी के दौरान सेवा देने वाले नर्सिंग, आईटी, कंप्यूटर और हेल्थ ट्रेड के कोरोना योद्धाओं को सरकार द्वारा घोषित 10% छूट और प्राथमिकता नहीं दी गई. विभाग के पास मेल, दस्तावेज और निवेदन होने के बावजूद प्रशासन ने चुप्पी साध रखी है और कोई कार्रवाई नहीं की गई. फर्जी तरीके से 7 निजी कंपनियों को भर्ती का ठेका दे दिया गया. बिना मेरिट सूची के आधार पर अधिकारियों के सगे-संबंधियों को सीधे जॉइनिंग दे दी गई.

ये हैं एनएसयूआई की प्रमुख मांगें

एनएसयूआई की प्रमुख मांग है कि हाल ही में की गई समग्र शिक्षा विभाग की संपूर्ण भर्ती प्रक्रिया को तत्काल प्रभाव से रद्द किया जाए, ताकि पारदर्शिता सुनिश्चित हो सके. साथ ही कोविड महामारी के दौरान सेवा देने वाले कोरोना योद्धाओं को सरकार द्वारा घोषित 10% छूट और पहली प्राथमिकता दी जाए. एनएसयूआई यह भी मांग करती है कि सभी परीक्षार्थियों की मेरिट सूची को सार्वजनिक किया जाए, जिससे चयन प्रक्रिया में निष्पक्षता स्पष्ट हो सके. भर्ती में प्रयुक्त फर्जी दस्तावेजों की उच्चस्तरीय जांच कर दोषियों पर एफआईआर दर्ज की जाए और पैसों के बदले दी गई नियुक्तियों की जांच आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (EOW) और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) से कराई जाए, ताकि इस व्यापक भ्रष्टाचार में संलिप्त सभी लोगों को न्याय के कटघरे में लाया जा सके.