दुर्ग. स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (SAIL) के भिलाई स्टील प्लांट और भिलाई नगर निगम से केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के जवान अपनी जमीन मांग रहें हैं. इस बात को लेकर भिलाई में आज फिर तीनो संस्थानों के बीच मीटिंग का दौर चला. लेकिन परिणाम शून्य रहा. अब सीआरपीएफ (CRPF) के जवान न्यायालय का दरवाजा खटखटाने को तैयारी कर रहें हैं.

दरअसल, भिलाई के सबसे पॉश इलाके नेहरू नगर में बीएसपी ने करीब 2 लाख 19 हजार में 250 एकड़ जमीम सीआरपीएफ को बेची थी. लेकिन आज वहां कॉलोनी और बस्ती बन चुकी है. जिसे आज नेहरू नगर वेस्ट और स्मृति नगर के नाम से जाना जाता है. अब सीआरपीएफ (CRPF) अपनी जमीन मांग रहा है. लेकिन बीएसपी और निगम के अधिकारी जवाब देने से बचते नजर आ रहे हैं. क्योंकि बीएसपी ने विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण (साडा) को भी यह जमीन सौंप दी थी. इस मसले पर कई बार बैठके की गई, लेकिन बीएसपी जमीन के सीमांकन कराने से पीछे हट रहा है.

छोटे-छोटे प्लॉट देखकर दंग रह गए महानिदेशक

गुरुवार को भिलाई निगम कार्यालय में हुई इस बैठक में बीएसपी से जीएम सुब्रत प्रहलाद और निगम के उच्चाधिकारी मौजूद रहे. साथ ही छत्तीसगढ़ के सीआरपीएफ (CRPF) के डीआईजी बलराम बेहरा अपनी टीम के साथ पहुंचे. उन्होंने सभी दस्तावेज दिखाते हुए कहा कि जब 1972 में बीएसपी से जमीन खरीदी गई तब उन्होंने इसका पंजीयन और सीमांकन नहीं किया. साल 1977 में यहां से जवान पूर्वोत्तर राज्य में पदस्थ कर दिए गए. जिसके बाद नक्सलियों के बढ़ते आतंक को देखते हुए केंद्र सरकार ने साल 2003 में यहां फिर से सीआरपीएफ को तैनात किया. लेकिन 2014 में जमीन के बारे में सेंट्रल जोन कोलकाता के विशेष पुलिस महानिदेशक से सेक्टर मुख्यालय छत्तीसगढ़ के 222 वीं बटालियन के कमांडेंट को आदेश जारी हुआ, तब महानिदेशक जमीन देखने भिलाई पहुंचे, तो वे भी आवंटित जमीन पर छोटे-छोटे प्लॉट, भवन देख कर दंग रह गए.

17 एकड़ जमीन अब भी बाकी

इसमें भी बीएसपी ने 250 एकड़ जमीन सीआरपीएफ को नहीं सौपी थी. सिर्फ 232.2 एकड़ बीएसपी ने 18 अप्रैल 1972 राजस्व मंडल आमदी, पटवारी हल्का नंबर-22 खसरा नंबर 34 के 232.02 एकड़ जमीन सीआरपीएफ को बेची. बाकी के 17 एकड़ जमीन अब भी बाकी थी. तत्कालीन बटालियन के अधिकारियों ने जमीन के एवज में बीएसपी को 2 लाख19 हजार 236 रुपये भी दिए. जिसका रिकॉर्ड अब भी उनके पास मौजूद है.

सीआरपीएफ के अधिकारी की मांग है कि उनकी भूमि का सीमांकन बीएसपी करे और उनकी जमीन दे. अन्यथा उसके एवज में दूसरे स्थान पर भूमि उपलब्ध कराए. लेकिन बीएसपी अफसरों का कहना है कि हमने जमीन दे दिया है. सीमांकन कराना हमारा काम नहीं है. इस पर सीआरपीएफ की तरफ से मीटिंग में शामिल अधिकारी नाराज हो गए. वे अब न्यायालय में याचिका दायर करने की तैयारी कर रहें हैं.