तीन महीने पहले दिल्ली में गिरफ्तार किए गए सीआरपीएफ के सहायक उप-निरीक्षक (ASI) मोती राम जाट ने पाकिस्तानी खुफिया एजेंट के बारे में जानकारी दी है। एएसआई ने बताया कि उसने कथित तौर पर एक पाकिस्तानी खुफिया एजेंट के साथ गोपनीय जानकारी साझा की थी जो बदले में भारतीय सेना, अर्धसैनिक बलों और सरकार के कर्मियों से जुड़े 15 अन्य फोन नंबरों के संपर्क में था। यह जानकारी मामले पर नज़र रख रही केंद्रीय खुफिया एजेंसियों के सूत्रों ने दी।
मोती राम को 27 मई को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने गिरफ्तार किया था। केंद्रीय एजेंसियों द्वारा यह खुलासा किए जाने के बाद कि वह कथित तौर पर पाकिस्तानी एजेंटों के साथ गोपनीय जानकारी साझा कर रहा था, एजेंसी को इसकी जांच सौंपी गई थी। जाट पहलगाम में सीआरपीएफ की एक बटालियन में तैनात था और 22 अप्रैल को हुए आतंकवादी हमले से ठीक 5 दिन पहले उसका दिल्ली तबादला हुआ था। इस हमले में 26 नागरिक मारे गए थे।
पाकिस्तानी आतंकवादी भारत के 15 फोन नंबरों के संपर्क में था
खुफिया एजेंसियों ने पाया है कि जाट से संपर्क करने के अलावा पाकिस्तानी आतंकवादी जिसका कोड नाम सलीम अहमद है, कम से कम 15 अन्य फोन नंबरों के संपर्क में था। सूत्रों ने बताया, “कॉल डिटेल रिकॉर्ड और इंटरनेट प्रोटोकॉल डिटेल रिकॉर्ड की जांच करने पर पता चला कि इनमें से चार नंबर सेना के जवानों के, चार अर्धसैनिक बलों के और बाकी सात केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों के कर्मचारियों के हैं।” सूत्रों ने बताया कि केंद्रीय एजेंसियायां इन कम्यूनिकेशन की जांच के लिए सभी डाटा का विश्लेषण कर रही हैं।
कोलकाता से खरीदे सिमकार्ड का ओटीपी पाकिस्तानी एजेंट को भेजा
सूत्रों के अनुसार, खुफिया एजेंसियों को यह भी पता चला है कि जिस फ़ोन नंबर के ज़रिए एएसआई जाट से संपर्क किया गया था, उसका सिम कार्ड कोलकाता से एक व्यक्ति ने ख़रीदा था, जिसने एक्टिवेशन ओटीपी लाहौर में बैठे पाकिस्तानी एजेंट के साथ साझा किया था। सूत्रों ने बताया, “कोलकाता के इस व्यक्ति ने 2007 में एक पाकिस्तानी नागरिक से शादी की थी और 2014 में पाकिस्तान चला गया था। वह साल में दो बार कोलकाता आया था।”
एएसआई ने लाहौर में अपने हैंडलर को संवेदनशील दस्तावेज़ भेजे थे
सूत्रों के अनुसार, अब तक की जांच से पता चला है कि पिछले दो सालों में मोती राम जाट ने कथित तौर पर लाहौर में अपने हैंडलर को 12,000 रुपये तक के नियमित भुगतान के लिए कई संवेदनशील दस्तावेज़ भेजे थे। यह धनराशि जाट और उसकी पत्नी के बैंक खातों में दिल्ली, महाराष्ट्र, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, असम और पश्चिम बंगाल सहित कई जगहों के खातों से जमा की गई थी।
पैसे भेजने वालों में से एक की पहचान शहजाद के रूप में हुई है, जिसे मई में उत्तर प्रदेश एटीएस ने कपड़े, मसाले और सौंदर्य प्रसाधनों की सीमा पार तस्करी करते हुए आईएसआई के आकाओं को कथित तौर पर गोपनीय जानकारी देने के आरोप में गिरफ्तार किया था। शहजाद ने दावा किया है कि एक बार पंजाब से दिल्ली जा रही ट्रेन में एक सह-यात्री द्वारा परिवार के किसी सदस्य को पैसे भेजने के लिए कहने पर उसने जाट को 3,500 रुपये ट्रांसफर किए थे। सूत्रों ने बताया, “उसने दावा किया कि सह-यात्री ने उसे ऑनलाइन लेनदेन करने के लिए 3,500 रुपये नकद दिए थे।”
पाकिस्तानी अधिकारी ने खुद को साथी पत्रकार बताया
सूत्रों के अनुसार, एएसआई जाट ने दावा किया कि शुरुआत में उससे एक महिला ने संपर्क किया था, जिसने खुद को चंडीगढ़ स्थित एक टीवी चैनल की पत्रकार बताया था। उन्होंने कहा, “फोन और वीडियो कॉल पर नियमित बातचीत के बाद, उसने उसके साथ दस्तावेज साझा करना शुरू कर दिया।” सूत्रों ने बताया कि कुछ महीने बाद, एक व्यक्ति (कथित तौर पर एक पाकिस्तानी अधिकारी) ने बातचीत की कमान संभाली और खुद को साथी पत्रकार बताया।
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