रंजन दास, बीजापुर. बस्तर में नक्सलवाद के खात्मे के लिए तैनात जवान जांबाजी से नक्सलियों को मुंहतोड़ जबाब तो देते ही हैं, लेकिन जरूरत पड़ने पर मानवता की मिसाल भी बनते हैं. मंगलवार को ऐसा ही एक मामला सामने आया. जब जंगल-नालों को लांघ एक आदिवासी परिवार की उम्रदराज बीमार महिला बेको सनकी को खाट पर लादकर कोरसागुडा से तर्रेम लेकर पहुंचे थे.

दरअसल, कुछ लोग सड़क किनारे इस उम्मीद में खड़े थे कि उन्हें गाड़ी या एम्बुलेंस की सुविधा मिल जाए, इसी बीच काफी देर से खड़े ग्रामीणों को देख कोबरा बटालियन का एक जवान उनके पास मसीहा बनकर आया. तक्लीफ समझ आई तो देर ना करते हुए जवान ने एम्बुलेंस सेवा के लिए सम्पर्क किया. लेकिन इमरजेंसी सेवा की लचर सेवा से कंट्रोल रूम से कॉल कनेक्ट नहीं हुआ. जिसके बाद सिलगेर से लौट रही मीडियाकर्मी की गाड़ी वहां आकर रुकी. माजरा समझते देर ना लगी और एम्बुलेंस के इंतजार में समय ना जाया करते हुए जवान के सहयोग से बीमार महिला को वाहन में सवार कर बासागुड़ा अस्पताल पहुंचाया गया.

महिला को समय पर पहुंचाया गया अस्पताल

मसीहा बने जवान ने अपना नाम जय गिरि बताया. जो कोबरा में हेड कांस्टेबल के पद पर पदस्थ हैं. हालांकि जवान कैमरे पर कुछ भी कहने को तैयार नहीं हुआ. बहरहाल देवदूत बने जवान के प्रयासों से खाट पर जिंदगी और मौत से जूझ रही महिला को समय रहते अस्पताल पहुंचाने में सफलता जरूर मिली.

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