रायपुर। छत्तीसगढ़ में नक्सल मोर्चे पर तैनात सीआरपीएफ को माओवादियों के अलावा यहां कई तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. आए दिन नक्सल हमले में जवानों की मौत और भौगोलिक परिस्थतियों के बावजूद यहां फोर्स द्वारा इन इलाकों में रहने वाले ग्रामीणों की हरसंभव मदद भी करते हैं. ऐसा ही एक मामला सामने आया है जब आदिवासी माता-पिता ने अपने एक डेढ़ वर्षीय बच्चे की तबियत खराब होने पर सीआरपीएफ ने बच्चे को  इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती करवाया. जहां उसकी इलाज जारी है.

मामला दंतेवाड़ा जिले के गीदम इलाके में स्थित सीआरपीएफ कैम्प कोण्डोसांवली के नजदीकी ग्राम ईन्दुपारा के रहने वाले भीमा के डेढ़ वर्षीय पुत्र को जानलेवा पेल्सीफेरियम मलेरिया हो गया था. जिसकी वजह से उसकी स्थित बेहद नाजुक हो गई थी. बच्चे को गंभीर हालत में देख माता पिता सीआरपीएफ 231 वाहिनी कैम्प से इलाज की मदद मांगी. बच्चे की हालत देखते हुए सहायक कमाण्डेंट अमृत कुमार सिंह ने सिविल एम्बुलेंस बुलाया.

डॉ अतीक अंसारी स्वंय एम्बुलैंस लेकर कोण्डासॉवली कैम्प पहुँचकर मलेरिया ग्रसित लखमा को प्राथमिक उपचार दिये. अतिसंवेदनशील व घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र होने के बावजूद भी उक्त शिशु को बेहतर ईलाज के लिए तुरन्त सिविल एम्बुलेंस से जिला अस्पताल दन्तेवाडा में पहुँचाया गया.  जहाँ पर नन्हे लखमा का इलाज चल रहा है, वर्तमान में उसकी हालत की हालत ठीक बताई जा रही है.

लखमा के माता-पिता तथा गाँव ईन्दुपारा के सरपंच व ग्राम वासियों ने 231 बटालियन सीआरपीएफ की इस मानवता की सराहना की और समय पर सहायता करने के लिए धन्यवाद दिया. सीआरपीएफ के अधिकारियों का कहना है कि  231 बटालियन अपने तैनाती के नजदीकी ग्रामवासियों की हर संभव मदद करती रही है तथा भविष्य में भी अपने कर्तव्य पर प्रतिबद्ध रहेगी.