नयी दिल्ली। रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध के दिन ब दिन अधिक हिंसक रूप लेने के साथ ही विदेशी बाजारों में कच्चे तेल के दाम तूफानी तेजी से बढ़ रहे हैं. गुरुवार को कच्चा तेल 10 साल के उच्चतम स्तर 117 डॉलर प्रति बैरल पहुंच गया. विदेशी बाजारों में कच्चा तेल पिछले 3 दिनों में करीब 20 फीसदी महंगा हुआ है. लंदन का ब्रेंट क्रूड 3.50 प्रतिशत महंगा होकर गुरुवार को 117 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया. बुधवार को ब्रेंट क्रूड 111 डॉलर प्रति बैरल के आसपास, मंगलवार को 102 डॉलर प्रति बैरल तथा सोमवार को 98 डॉलर प्रति बैरल पर था.
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रूस कच्चे तेल का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक है और बाजार में इस बात की आशंका है कि प्रतिबंधों के कारण आपूर्ति संकट में पड़ेगी. आपूर्ति संकट के भय से कच्चे तेल की कीमतें आसमान छूने लगी हैं. भारत दुनिया के सबसे बड़े तेल आयातक देशों में से एक है. ऐसा कहा जा रहा है कि विदेशी बाजार में इतनी तेजी से दाम बढ़ने का असर घरेलू बाजार पर भी पड़ेगा और पेट्रोल और डीजल के दाम 20 से 22 रुपये प्रति लीटर बढ़ सकते हैं.
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एचडीएफसी सिक्योरिटीज के वरिष्ठ विश्लेषक तपन पटेल ने कहा कि आपूर्ति संकट के भय से ही कच्चे तेल में तूफानी तेजी दिख रही है. इसके अलावा ओपेक देशों ने सहमति स्तर के भीतर ही तेल उत्पादन को बनाये रखने का फैसला किया है, जिससे आपूर्ति में गिरावट का भय और बढ़ गया है. आईआईएफएल सिक्योरिटीज के शोध उपाध्यक्ष अनुज गुप्ता ने कहा कि कच्चे तेल की कीमतों के 125 डॉलर प्रति बैरल के स्तर के पार जाने का अनुमान है। भू-राजनीतिक तनाव और आपूर्ति संकट के दबाव में कच्चे तेल की कीमतों को बल मिल रहा है.
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