मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने सोमवार को सचिवालय में जिलाधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रदेश में जिला और उप जिला अस्पतालों की स्थिति की समीक्षा की. इस दौरान मुख्य सचिव ने सरकारी अस्पतालों में रेफरल सिस्टम पर नाराजगी जताई. उन्होंने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिए कि जो सुविधाएं जिला एवं उप जिला अस्पतालों में उपलब्ध हैं उनका इलाज उन्हीं अस्पतालों में किया जाए.

मुख्य सचिव ने कहा कि जिन गंभीर मरीजों और घायलों का इलाज जिला अस्पतालों और उप जिला अस्पतालों में नहीं हो पाएगा, सिर्फ उन्हीं मरीजों को हायर सेंटर रेफर किया जाना सुनिश्चित किया जाए. उन्होंने कहा कि सभी जिला अस्पतालों में सभी प्रकार की सामान्य एवं महत्त्वपूर्ण जांचों को अनिवार्य रूप से शुरू कराया जाए. सभी जिला अस्पतालों में माईक्रोबायोलॉजिस्ट की तैनाती भी शीघ्र सुनिश्चित की जाए, ताकि यूरिन कल्चर जैसी महत्त्वपूर्ण जांचों को भी सरकारी अस्पतालों में शुरू कराया जा सके.

इसे भी पढ़ें : विधानसभा सत्र की अधिसूचना जारी, 19 अगस्त से शुरू होगा सेशन

सीएस ने कहा कि सिर्फ उन्हीं जांचों को आउटसोर्स एजेन्सी के माध्यम से कराया जाए जो जांचें जिला अस्पतालों में नहीं हो सकती. इसके लिए उन्होंने जिला अस्पतालों की मजबूती के साथ ही कैपेसिटी बढ़ाए जाने के निर्देश दिए. सीएस ने स्वास्थ्य विभाग से प्रदेश के सभी जिला एवं उपजिला अस्पतालों में उपलब्ध सुविधाओं, चिकित्सकों, पैरामेडिकल की स्थिति एवं उपकरणों की उपलब्धता की रिपोर्ट तलब की.

मुख्य सचिव ने पुरानी हो चुकी 108 एम्बुलेंस और विभागीय एम्बुलेंसों को तत्काल बदले जाने के भी निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि प्रदेशभर में संचालित हो रही सभी 108 एम्बुलेंस एवं विभागीय एम्बुलेंसों का विश्लेषण कर लिया जाए और पुराने एवं खराब वाहनों को शीघ्र बदला जाए. उन्होंने कहा कि एम्बुलेंस बदले जाने की प्रक्रिया शीघ्र शुरू की जाए. मुख्य सचिव ने सचिव स्वास्थ्य को कुमाऊं और गढ़वाल के पर्वतीय क्षेत्रों में एक-एक आईवीएफ फैसिलिटी और ट्रॉमा सेंटर बनाए जाने के भी निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि ये दोनों सुविधाएं शीघ्र पर्वतीय क्षेत्रों में शुरू की जाएं.