देहरादून. मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने बुधवार को सचिवालय में आपदा जोखिम न्यूनीकरण पर सेन्डई (जापान) फ्रेमवर्क के राज्य में क्रियान्वयन पर समीक्षा की. इस दौरान उन्होंने अधिकारियों को अपनी सीमाओं में सीमित न रहते हुए, व्यापक दृष्टिकोण से कार्य करने को कहा. उन्होंने आपदा प्रबन्धन के क्षेत्र में अन्य देशों और राज्यों के माॅडल को अपनाने की बजाय उत्तराखण्ड की विशेष पारिस्थितिकी को ध्यान में रखते हुए उत्तराखण्ड केन्द्रित आपदा प्रबन्धन माॅडल तैयार करने की हिदायत दी. उन्होंने आपदा प्रबन्धन विभाग को आपदाओं से निपटने और बचाव के लिए उत्तराखण्ड फ्रेमवर्क तैयार करने के दौरान एनजीओ, सिविल सोसाइटी, सामाजिक संस्थाओं और निजी विशेषज्ञों के सुझाव भी शामिल करने के निर्देश दिए.

आपदा जोखिम न्यूनीकरण में इन्श्योरेन्स योजना की कार्य योजना बनाने में ढ़िलाई पर सख्त नाराजगी जाहिर करते हुए मुख्य सचिव ने स्पष्ट किया कि आपदा संवेदनशील राज्य उत्तराखण्ड में लोगों को विशेषकर जरूरतमंदों को बीमा योजना से बड़ी मदद मिल सकती है. उन्होंने विभाग को इस विषय पर गम्भीरता से विचार करते हुए प्रभावी पहल करने के निर्देश दिए. आपदा के जोखिम आंकलन के लिए प्रशिक्षित अधिकारियों के अभाव के मुद्दे का गम्भीरता से संज्ञान लेते हुए सीएस ने आपदा से प्रभावित क्षेत्रों एवं गांवों में जोखिम आंकलन के लिए तत्काल मास्टर ट्रैनर के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित करने के आपदा प्रबन्धन विभाग को निर्देश दिए. उन्होंने राज्य में 65000 से ज्यादा महिला स्वयं सहायता समूहों, जिनसे 10 लाख से ज्यादा महिलाएं जुड़ी हैं, को भी आपदा प्रबन्धन का प्रशिक्षण देने के निर्देश दिए. इन प्रशिक्षित महिलाओं को आपदा सखी का नाम देते हुए आपदाओं के दौरान ग्राम और तहसील स्तर पर इनकी सहायता राहत और बचाव कार्यों में लेने के निर्देश दिए.

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मुख्य सचिव ने प्राथमिक विद्यालय के स्तर से विद्यार्थियों के पाठयक्रम में आपदा प्रबन्धन को शामिल करने के निर्देश दिए. इसके साथ ही उन्होंने अधिकारियों को सैनिक कल्याण विभाग से सभी जिलों में रह रहे पूर्व सैनिकों की जानकारी और आंकड़े लेते हुए उन्हें आपदा प्रबन्धन का प्रशिक्षण देकर उनकी सहायता आपदाओं के दौरान स्थानीय स्तर पर लेने के निर्देश दिए. सीएस ने कहा कि आपदा संवेदनशील क्षेत्रों में अपेक्षाकृत हल्के निर्माण कार्यों को प्राथमिकता दी जाती है, ताकि आपदा के दौरान जानमाल की कम से कम हानि हो. उन्होंने सिंचाई विभाग सहित अन्य सम्बन्धित विभागों में इस सम्बन्ध में उत्तराखण्ड केन्द्रित कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिए, जो कि राज्य की विशेष भौगोलिक स्थितियों और आपदा परिस्थितियों के अनुकूल हों.

मुख्य सचिव ने अधिकारियों से ऐसे चिन्हित ग्रामों की पुनर्वास कार्ययोजना की स्थिति स्पष्ट करने को कहा. सचिव आपदा प्रबन्धन ने जानकारी दी कि इस सम्बन्ध में अभी तक इस साल 20 करोड़ रुपये की धनराशि अनुमोदित कर जारी की जा चुकी है और व्यय की जा चुकी है. सीएस ने जिलाधिकारियों को सभी गांवों का आपदा जोखिम आंकलन (Disaster Risk Assessment) करने के निर्देश दिए. सीएस ने पंचायती राज विभाग को जीपीडीपी प्लान में गांवों का आपदा जोखिम आंकलन शामिल करने के भी निर्देश दिए.

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सीएस ने आपदा के आंकड़ों तक सभी विभागों की आसानी से पहुंच और वेबसाइट एवं कंट्रोल रूम में डेटा शेयरिंग के निर्देश दिए. उन्होंने सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए विशेष कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिए हैं. उन्होंने क्रैश बैरियर विशेषकर बांस के क्रैश बैरियर लगाने जैसे इनोवेटिव प्रयासों को अपनाने के निर्देश दिए. सीएस ने इस सम्बन्ध में वन, लोक निर्माण विभाग सहित सभी सम्बन्धित विभागों को मिलजुल कर कार्य करने की हिदायत दी.