सत्यपाल सिंह, रायपुर। संस्कृति मंत्री की क्या उनके ही विभाग के अधिकारी नहीं सुन रहे हैं ? यह सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि चार माह बाद भी संस्कृति मंत्री की ओर से दिए गए आदेश पर अमल अब तक नहीं हो सका है. मामला विभाग में प्रतिनियुक्ति पर पदस्थ प्रताप चंद पारख से जुड़ा है. वन विभाग के कर्मचारी पीसी पारख बीते कई सालों से संस्कृति विभाग में प्रतनियुक्ति पर पदस्थ है. पदस्थ ही नहीं बल्कि उन्हें गलत तरीके विभाग में प्रमोशन देकर लाभांवित करने का आरोप भी है. उनके ख़िलाफ़ कई मामलों शिकायत है. वर्तमान में पारख विभाग में मंहत घासीदास संग्रहाध्यक्ष के पद पर नियुक्त है. उनकी नियुक्ति का मामला सुप्रीम कोर्ट में भी चल रहा है.

आदेश की कॉपी

http://EXCLUSIVE : संस्कृति विभाग में नियम सारे दरकिनार, वन विभाग के तृतीय वर्ग कर्मचारी को सात साल में तीन पदोन्नति दे बना दिया संग्राध्यक्ष!

कांग्रेस की नई सरकार बनने के बाद पारख के ख़िलाफ़ संस्कृति मंत्री तक शिकायत पहुँची, तो मंत्री ने पारख की प्रतिनियुक्ति समाप्त उसे उनका मूल विभाग वन विभाग में भेजने का आदेश हुआ. लेकिन आदेश के चार माह पूरा हो जाने के बाद अब तक इस पर अमल नहीं हो सका. इस मामले में संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत कहते हैं कि विभाग में लगातार कई बड़े कार्यक्रम होते रहे हैं, लिहाजा उन्हें वापस नहीं भेजा जा सका. हरेली से लेकर आदिवासी महोत्सव और वर्तमान पुन्नी मेला तक बड़ा आयोजन होना लिहाजा इस मामले में देरी हो रही है. लेकिन जो आदेश हुआ उस पर अमल होगा.