सत्यपाल सिंह, रायपुर। संस्कृति विभाग स्थित महंत घासीदास संग्रहालय परिसर में संचालित गढ़ कलेवा की मनमानी पर संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत भी लगाम लगा पाने में नाकाम साबित हुए हैं. यही वजह है कि तमाम आरोपों और शिकायतों के बाद संचालनकर्ता मोनिषा स्व-सहायता समूह पर किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं हो पा रही है. अब फिर गढ़ कलेवा विवादों में है. विवाद गैर छत्तीसगढ़ी व्यंजन बेचने को लेकर हुआ.
दरअसल नए विवाद के रूप में गढ़ कलेवा में आलू बंडा, साबूदाना बड़ा, समोसा जैसे कई व्यंजन बेचने का मामला सामने आया है. इसके साथ प्लास्टिक यूज करने की बात भी सामने आई है. जबकि गढ़ कलेवा में सिर्फ छत्तीसगढ़ी व्यंजन चीला, फरा, बरा, भजिया, टेटरी, खुरमी, बीड़िया, पीड़िया, अरसा जैसे व्यंजन और भोजन बेचने की शर्त पर समूह को संचालन दिया गया.
जब इस मामले में संचालन समूह के कर्मचारियों से पूछा गया तो वे दुर्व्यहार पर उतर आए. उन्होंने कहा कि हमारी मर्जी हम जो चाहे बेचे, अधिकारी हमसे सवाल नहीं करते आप कौन होते हैं सवाल करने वाले ? हमें क्या बेचना है, क्या नहीं ये हम तय करते हैं इसके लिए किसी से परमिशन की जरूरत नहीं है.
वहीं इस पूरे विवाद के सामने के बाद गढ़ कलेवा के प्रभारी अधिकारी जे. आर भगत ने संज्ञान ले लिया है. उन्होंने संचालन समूह पर कार्रवाई की बात कही है. उन्होंने कहा कि गढ़ कलेवा में छत्तीसगढ़ी व्यंजन को छोड़ कुछ भी अन्य बेचने की अनुमति नहीं है. इस मामले में शिकायत सामने आई है, पहले जो शिकायतें मिली थी उस पर भी जांच जारी है कार्रवाई की जाएगी.