अमित पांडेय, खैरागढ़. छत्तीसगढ़ में खैरागढ़ के जंगल वनमंडल राजस्व के मामले में अग्रणी स्थान रखता है. मेंकल पर्वत माला के खूबसूरत जंगलों से घिरा यह वन मंडल अपनी व्यापक जैव विविधता के लिए भी जाना जाता है. भारत में जम्मू कश्मीर को छोड़कर बाकी सभी राज्यों के जंगलों में बांस पाए जाते हैं. यहां के जंगलों में भी बांस की कई प्रजातियां पाई जाती है, जिनमें सबसे जटिल कटाई कटंग बांस की होती है. इस बांस की प्रजाति को काटना वन विभाग के लिए अपने आप में एक चुनौती होती है इसलिए या तो इसे लगाया नहीं जाता या फिर इसे बढ़ने के बाद जला दिया जाता है पर खैरागढ़ में डीएमओ ने एक मशीन को इजात किया है, जिससे इस बांस को आसानी से कांटा जाता है और बांस के उस वृक्ष से लगभग 60 वर्षों तक बांस की पैदावार ली जा सकती है.

आमतौर पर कटंग बांस बांसों के झुरमुठ से घिरा होता है इसलिए इसे हाथों से काटना संभव नहीं होता. इस समस्या से निपटने और कटंग बांस को आसानी से काटने के लिए खैरागढ़ डीएफओ आलोक तिवारी ने नवाचार अपनाया है. इसके तहत बांस की इस प्रजाति को काटने के लिए एक मशीन का प्रयोग किया जा रहा है. इस मशीन के प्रयोग के संबंध में डीएफओ आलोक तिवारी ने स्वयं मैदान में उतरकर वन कर्मियों को प्रशिक्षण दिया.

डीएफओ ने बताया, कटंग बांस का विकास सबसे तेज होता है, परंतु इसकी कटाई में आने वाली समस्या को देखते हुए आम तौर पर इसे लगाने से लोग परहेज करते हैं या फिर लगाने के बाद इसे जला दिया जाता है. इस समस्या से निजात पाने के लिए इस मशीन को इजात किया गया है. यह मशीन अपने आप में अलग तरह से कार्य करता है. यह मशीन दो टन का खिचाव पैदा करता है, जिससे इसकी कटाई आसान हो गई है. इस मशीन के प्रयोग से बांस की कटाई न केवल आसानी से की जाती है बल्कि बांस के उस वृक्ष से लगभग 60 वर्षों तक बांस की पैदावार ली जा सकती है.

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