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नई दिल्ली: पांच राज्यों में करारी हार के बाद रविवार को सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) की अध्यक्षता में कांग्रेस कार्यसमिति (Congress Working Committee Meeting) की बैठक हुई. चार घंटे तक चली कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में फैसला लिया गया कि सोनिया गांधी पार्टी की अध्यक्ष बनी रहेंगी और पार्टी का कोई सदस्य इस्तीफा नहीं देगा. बैठक में राहुल गांधी (Rahul Gandhi), प्रियंका गांधी, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत समेत पार्टी के शीर्ष नेताओं ने भाग लिया.
सूत्रों के अनुसार, बैठक में सोनिया गांधी ने कहा कि कुछ लोगों को लगता है कि विधानसभा चुनावों में पार्टी के निराशाजनक प्रदर्शन के लिए गांधी परिवार जिम्मेदार है और अगर ऐसा है, तो वे संगठन की सफलता सुनिश्चित करने के लिए कोई भी “बलिदान” करने के लिए तैयार हैं. सूत्रों ने बताया कि बैठक में शामिल होने वाले लगभग सभी नेताओं की इस बात पर सहमति बनी कि सोनिया को अध्यक्ष बने रहना चाहिए.
सूत्रों की मानें तो इस बात की संभावना बहुत कम है कि राहुल गांधी को पार्टी का अध्यक्ष बनाया जाएगा. हालांकि काग्रेस कार्यसमिति की बैठक से पहले राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा था कि राहुल गांधी को पार्टी अध्यक्ष बनाया जाना चाहिए. गहलोत के अलावा कर्नाटक कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार जैसे वरिष्ठ नेता ने भी अध्यक्ष पद के लिए गांधी परिवार को अपना समर्थन दिया.
पंजाब में नुकसान अंदरूनी कारणों से हुआ
सीडब्ल्यूसी की बैठक से पहले, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने यह भी कहा कि राहुल को बागडोर संभालनी चाहिए, और पंजाब में नुकसान “अंदरूनी” के कारण हुआ था. उन्होंने यह भी कहा कि सोनिया गांधी और राहुल के नेतृत्व पर सवाल नहीं उठाए जा सकते. गहलोत ने कहा कि पिछले तीन दशकों के गांधी परिवार से कोई भी न तो पीएम बना है न ही मंत्री बना है, कांग्रेस की एकता के लिए गांधी परिवार काफी महत्वपूर्ण है.
इंदिरा जी ने देश को खालिस्तान नहीं बनने दिया
गहलोत ने कहा, ‘चुनाव में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं, चुनाव में कभी जीत होती है तो कभी हार. उन्होंने कहा कि एक समय था जब भारतीय जनता पार्टी के पास 542 सीटों में सिर्फ 2 सीट थीं. उन्होंने आरोप लगाया कि लोग गुमराह हो रहे हैं क्योंकि भाजपा सिर्फ धर्म की राजनीति करती है, आज नहीं तो कल देशवासियों को ये बाते समझ में आ जाएंगी. इंदिरा जी ने अपनी जान दे दी लेकिन खालिस्तान नहीं बनने दिया.