रायपुर. अमित शाह आज पश्चिम बंगाल में है. वो अपने इस दौरे की शुरूआत काली मां के दर्शन करने के बाद कर रहे है.

मां कालीघाट मंदिर आदिशक्ति पीठ माना जाता है. मान्यता है कि यहां पूजा करने वालों को मां काली कभी निराश नहीं करतीं. मां अपने भक्तों की मुराद जरूर पूरी करती हैं. लिहाजा बीजेपी के तमाम बड़े नेताओं ने बंगाल विजय के अभियान की शुरूआत मां काली के दरबार में हाजिरी लगाकर हर बार करते है. कोलकाता में गंगा नदी के किनारे बसे दक्षिणेश्वर काली घाट मंदिर को 51 शक्तिपीठों में एक माना जाता है .

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कई सौ साल पुराने काली घाट मंदिर का जिक्र मंसाल भासन और कंकन चंडी जैसे ग्रंथों में भी मिलता है . पौराणिक मान्यता है कि माता सती के दाएं पैर की अंगुलियां यहां गिरी थीं. विश्वास है कि मां काली का जागृत स्वरूप सिद्धेश्वर मंदिर में मौजूद है इसीलिए इसे जागृत पीठ भी कहा जाता है.

मां काली के भक्तों के लिए ये किसी तीर्थ से कम नहीं है जो भी भक्त यहां दर्शन करने आता है मां काली उनकी मुराद जरूर पूरा करती हैं. बंगाल की रानी रासमनि मां काली की बहुत बड़ी उपासक थीं. मां काली उन्हें सपने में आईं थीं उसी के बाद रानी रासमनि ने दक्षिणेश्वर में काली मंदिर का निर्माण कराया. बंगाली हिंदू जागरण के सूत्रधार स्वामी रामकृष्ण परमहंस 1857 में दक्षिणेश्वर मां काली शक्तिपीठ के प्रधान पुजारी बने जो स्वामी विवेकानंद के गुरू थे.

उन्होंने इस मंदिर को अपनी साधनास्थली बनाया. मान्यता है कि स्वामी रामकृष्ण परमहंस की भक्ति से प्रसन्न होकर मां रोज़ाना उन्हें दर्शन देने आती थीं और उनसे बातें करती थीं. आज भी मंदिर में उनका कमरा जस का तस सरंक्षित है.