विदेश मंत्री एस जयशंकर की चीन यात्रा से पहले चीन अपने तीखे तेवर दिखा रहा है। जयशंकर 2020 में LAC पर हुई हिंसक झड़पों के बाद पहली बार चीन जा रहे हैं। उनकी इस यात्रा से पहले चीन ने कहा है कि तिब्बत से जुड़े मुद्दे, खासकर दलाई लामा के उत्तराधिकारी के पुनर्जन्म वाला मामला भारत और चीन के संबंधों में कांटे की तरह हैं। चीन का मानना है कि ये मुद्दे भारत के लिए बोझ बन गए हैं। इसी महीने 6 जुलाई को दलाई लामा का 90वां जन्मदिन भारत के धर्मशाला में धूमधाम से मनाया गया.इसमें उनके हजारों अनुयायियों और दुनिया के कई नामी सेलेब्रिटीज के अलावा भारत सरकार के वरिष्ठ केंद्रीय मंत्रियों ने भी हिस्सा लिया.दलाई लामा ने कहा कि उनका उत्तराधिकारी कौन होगा, यह तय करने में चीन की कोई भूमिका नहीं है.तिब्बती बौद्ध मानते हैं कि किसी भी वरिष्ठ बौद्ध भिक्षु की आत्मा मरने के बाद दोबारा जन्म लेती है.
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दूसरी तरफ चीन इस बात पर अड़ा है कि दलाई लामा का उत्तराधिकारी वही तय करेगा. दलाई लामा 1959 से भारत में रह रहे हैं.उन्हें तिब्बत में चीनी शासन के खिलाफ नाकाम विद्रोह के बाद भागकर भारत में शरण लेनी पड़ी.विदेश नीति के जानकार कहते हैं कि दलाई लामा की मौजदूगी भारत को चीन के खिलाफ फायदा पहुंचाती है.भारत में लगभग 70 तिब्बती रहते हैं और यहां से उनकी निर्वासित सरकार भी काम करती है.
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तिब्बत की संवेदशीलतानई दिल्ली में चीनी दूतावास की प्रवक्ता यु चिंग ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा है कि भारत में रणनीतिक और अकादमिक क्षेत्र से जुड़े कुछ लोगों ने दलाई लामा के पुनर्जन्म के बारे में “अनुचित टिप्पणियां” की हैं.यू ने इस बारे में किसी का नाम नहीं लिया. लेकिन हाल के दिनों में रणनीतिक मामलों के भारतीय विश्लेषक और मंत्रियों ने उत्तराधिकार के विषय पर दलाई लामा के बयानों का समर्थन किया है.यू ने लिखा, “विदेश मामलों का पेशेवर होने के नाते, उन्हें शीत्सांग से जुड़े मुद्दों की संवेदनशीलता को पूरी तरह समझना चाहिए” चीनी भाषा में तिब्बत को शीत्सांग कहते हैं.उन्होंने कहा, “दलाई लामा का पुनर्जन्म और उत्तराधिकार पूरी तरह से चीन का आंतरिक मामला है” उन्होंने बिंदुवार तरीके से लिखी गई इस पोस्ट में आगे कहा, “शीत्सांग से जुड़ा मुद्दा चीन-भारत संबंधों में कांटा है और यह भारत के लिए बोझ बन गया है.
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शीत्सांग कार्ड खेलकर वह अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मारेगा”भारत के संसदीय और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरण रिजिजू दलाई लामा के जन्मोत्सव में उनके साथ बैठे थे.उन्होंने कहा कि वह खुद एक सक्रिय बौद्ध हैं और मानते हैं कि दलाई लामा के पुनर्जन्म पर फैसला करने का अधिकार सिर्फ उन्हें और उनके कार्यालय को है.दलाई लामा के जन्मदिन से दो दिन पहले 4 जुलाई को भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा था कि आस्था, श्रद्धा या धर्म से जुड़े विषयों पर वह ना तो कोई रुख लेता है और ना ही बोलता है.
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बता दें कि, जयशंकर का चीन दौराभारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर 15 जुलाई को उत्तरी चीन के थियानचिन में शंघाई सहयोग संगठन के तहत क्षेत्रीय सुरक्षा से जुड़ी एक बैठक में हिस्सा लेंगे और इस मौके पर द्विपक्षीय बैठकों में भी शामिल होंगे. भारत और चीन के बीच 2020 के सैन्य टकराव के बाद यह उच्च स्तरीय बैठकों में से एक होगी.गलवान घाटी में हुए इस टकराव में भारत के 20 और चीन के कम से कम चार सैनिक मारे गए थे.पिछले महीने भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चीन में चीनी रक्षा मंत्री से मुलाकात की.वह शंघाई सहयोग संगठन के रक्षा मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लेने चीन गए.हालांकि इस बैठक के साझा बयान पर भारत ने हस्ताक्षर करने से मना कर दिया.इसमें पहलगाम हमले का जिक्र ना होने से खफा भारत ने कहा कि यह बयान पाकिस्तान समर्थक है.
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