बीडी शर्मा, दमोह। हिंदू रिवाज के अनुसार किसी की मृत्यु के बाद तेरहवीं का कार्यक्रम किया जाता है। लोगों को बुलाकर भोजन कराया जाता है और पुण्य आत्मा की शांति की प्रार्थना की जाती है। लेकिन मध्य प्रदेश से एक अजीब मामला सामने आया है। जहां परिवार ने तेरहवीं में लोगों को भोजन कराने के बजाय उन्हें हेलमेट बांटा। अब इस कार्यक्रम की चर्चा पूरे गांव में हो रही है। 

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सड़क हादसे में गई जान

दरअसल दमोह जिले के जबेरा जनपद के चंडी चौपरा गांव के एक नौजवान संकेत सिंह लोधी की 15 जून को सड़क हादसे में मौत हो गई थी। बीस साल के संकेत सिंह अपनी दुकान से घर के मामूली दूरी के सफर पर हर रोज की तरह निकले ही थे। तभी गांव के रास्ते में अचानक उनकी बाइक स्लिप हो गई जिससे उनके सिर पर गंभीर चोट आ गई और वह पल भर में ही दुनिया छोड़ गए। हेलमेट न पहनने की वजह से उनके सिर पर आई चोट संकेत की मौत की वजह बनी। 

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पिता ने लिया संकल्प

पिता दौलत सिंह ने अपना बेटा खो दिया पर एक संकल्प लिया कि और किसी का बेटा हेलमेट न पहनने की वजह से सड़क हादसे में न मारा जाए। इसके बाद उन्होंने मृत्यु भोज की जगह नौजवानों को हेलमेट बांटे। पिता दौलत सिंह ने जबेरा जनपद के आसपास के लोगों को इकट्ठा किया और श्रद्धांजलि सभा के दौरान सैकड़ों हेलमेट का वितरण किया। श्रद्धांजलि सभा के दौरान हुए इस परोपकारी काम की लोगों ने खूब सराहना की है। 

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यकीनी तौर पर आज ये कहा जा सकता है कि इस तरह की पहल न केवल लोगों को हेलमेट पहनने के लिए प्रेरित करेगी। बल्कि उन सड़क हादसों से भी बचाएगी जिसमे जान जाने का खतरा हो सकता है।

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