बीडी शर्मा, दमोह। मध्य प्रदेश के दमोह मिशन हॉस्पिटल में मरीजों की मौत के मामले में फर्जी डॉक्टर एन जॉन कैम की जमानत याचिका खारिज हो गई है। स्पेशल कोर्ट से पुलिस को चार दिन की और रिमांड मिली है। इससे पहले पांच दिन की न्यायिक हिरासत में लिया गया था। पुलिस ने पूछताछ के लिए रिमांड बढ़ाने की मांग रखी थी। जिसे कोर्ट ने स्वीकार किया है।
एमपी के दमोह मिशन अस्पताल में सात मरीजों की मौत के मामले में आरोपी बनाए गए नरेंद्र विक्रमादित्य यादव उर्फ नरेंद्र जॉन कैम की जमानत याचिका खारिज हो गई है। रविवार को एन जॉन कैम को स्पेशल कोर्ट में पेश किया गया था। जहां से उसे चार दिन की पुलिस रिमांड पर भेजा गया है। सरकारी वकील संजय रावत ने बताया कि कुछ दिन की रिमांड दी गई है। पुलिस का कहना है कि अब तक कि जांच में जो दस्तावेज मिले है। इस संबंध में आंध्रप्रदेश, पश्चिम बंगाल, हैदराबाद और ऋषिकेश में जाकर दस्तावेजों का सत्यापन करना पड़ेगा। फॉरेन प्रमाण पत्र का भी सत्यापन किया जाना है।
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आरोपी पक्ष के वकील ने कही ये बात
वहीं आरोपी पक्ष के अधिवक्ता सचिन नायक ने कहा कि माननीय न्यायालय ने जमानत याचिका खारिज कर दी है। पुलिस रिमांड पर लिया गया है। 17 अप्रैल को फिर से पेशी होगी। इस मामले में जांच एंजेसियों द्वारा आगामी जांच की जानी है, इसलिए रिमांड बढ़ाई गई है। अधिवक्ता सचिन बताया कि डॉक्टर ने न्यायालय में अपना पक्ष रखा है, उनका यही कहना है कि मरीजों के परिजनों को पहले ही जानकारी दे दी जाती है कि उनकी बीमारी कितनी गंभीर है, इसमें अप्रिय रूप से मृत्यु भी हो सकती है। इसमें कंसलटेंट फॉर्म साइन कराया जाता है और उनके परिजनों ने फॉर्म पर साइन भी किया है, बिना साइन के इलाज नहीं किया जा सकता है।
ये है पूरा मामला
गौरतलब है कि दमोह के मिशनरी अस्पताल में नरेंद्र विक्रमादित्य यादव नामक शख्स ने डॉ. एन जॉन केम के नाम से फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नौकरी हासिल की। उसने जनवरी-फरवरी 2025 में 15 से ज्यादा हार्ट सर्जरी की, जिनमें से 8 मरीजों की मौत हो चुकी है। जिन मरीजों का ऑपरेशन किया था, उनमें से तीन की मौत एंजियोप्लास्टी के समय हुई थी। जांच में पता चला कि उसकी डिग्री और अनुभव पूरी तरह से फर्जी थे।
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यूपी के प्रयागराज से आरोपी गिरफ्तार
आरोपी फर्जी डॉक्टर एन जॉन कैम लोगों को मौत की नींद सुलाने के बाद उत्तर प्रदेश के प्रयागराज भाग गया था। इस मामले में एमपी के सीएम डॉ मोहन यादव ने कार्रवाई के निर्देश दिए थे। सूचना मिलते ही दमोह एसपी श्रुतकीर्ति सोमवंशी ने एक टीम प्रयागराज भेजी और आरोपी को गिरफ्तार किया।
चिकन की वजह से आरोपी तक पहुंची पुलिस
फर्जी डॉक्टर एन जॉन कैम तक पुलिस को पहुंचाने में चिकन का अहम रोल रहा। दरअसल, फर्जी डॉक्टर ने चिकन का आर्डर करते समय दुकानदार को अपनी लाइव लोकेशन भेजी थी। यही गलती उसे भारी पड़ गई। पुलिस ने उसके द्वारा किए गए कांटेक्ट से संपर्क कर ट्रैक किया और उसे गिरफ्तार कर लिया।
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नागरपुर से बनवाए थे फर्जी दस्तावेज, पूर्व उपराष्ट्रपति के फेक हस्ताक्षर से बनाई थी डिग्री
मरीजों की जान लेने वाले डॉक्टर ने महाराष्ट्र के नागपुर से कूटरचित दस्तावेज बनवाए थे। वहीं एक डिग्री पर पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी के भी फर्जी साइन मिले है। दमोह एसपी श्रुत कीर्ति सोमवंशी ने बताया था कि 2013 में एक डिग्री जो उसने पांडिचेरी से ली थी, जिस विश्वविद्यालय से ली थी वहां के कुलपति उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी थे। उनके फर्जी दस्तखत कर उसने एक डिग्री बनाई थी जो पूरी तरह से फर्जी समझ में आ रही है। इसके अलावा और भी फर्जी डिग्रियां उसके पास है। हालांकि कुछ दिन उसने विदेश में जाकर पढ़ाई की है उसके दस्तावेज भी खंगाले जा रहे हैं।

घर से मिली थी फर्जी सर्टिफिकेट बनाने वाली नकली सील
जांच के दौरान फर्जी डॉक्टर के प्रयागराज स्थित घर पर दोबारा सर्चिंग की गई। जिसमें पूरी की पूरी फर्जी डॉक्यूमेंट बनाने की एक लैब बरामद की गई है। जिसमें कई फर्जी डॉक्यूमेंट प्रिंटर, सीले, डॉक्यूमेंट बनाने वाले पेपर, आधार कार्ड, और कई आईडी कार्ड भी बरामद हुए हैं। वहीं कानपुर स्थित डॉक्टर के परिवार से भी पुलिस ने पूछताछ की है। दमोह एसपी की माने तो फर्जी डिग्री की एक एफआईआर 2013 में नोएडा में इसी डॉक्टर के खिलाफ की गई थी। इसके बाद से यह फरार बताया जा रहा था। इस बात को लेकर नोएडा पुलिस से दमोह पुलिस का पत्राचार लगातार जारी है। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि फर्जी डॉक्टर पहले भी देश के कई हिस्सों में फर्जी डॉक्टरी कर चुका है और लोगों को मौत के घाट उतार चुका है।
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विदेश में पढ़ाई का दावा, डॉ जॉन कैम का हो सकता है पॉलीग्राफ टेस्ट
आरोपी डॉक्टर बार-बार ब्रिटेन से पढ़ाई करने का दावा कर रहा है और उसके डॉक्यूमेंट वहां जमा होने की बात कह रहा है। इसके लिए उसने पत्राचार भी दिखाया है। इस पूरे मामले को लेकर पुलिस ने चार सदस्य एसआईटी (SIT) का गठन किया है। डॉ जॉन कैम का नार्को एनालिसिस पॉलीग्राफ टेस्ट कराया जा सकता है। ताकि इस मामले से जुड़ी हुई और भी परते खुल सके।
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छत्तीसगढ़ विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष का किया था इलाज, ऑपरेशन के बाद हुई थी मौत
इस मामले के तार छत्तीसगढ़ के बिलासपुर के अपोलो अस्पताल से भी जुड़े। खुद को कार्डियोलॉजिस्ट बताने वाले फर्जी डॉक्टर नरेंद्र विक्रमादित्य यादव उर्फ नरेंद्र जॉन कैम पर आरोप है कि इन्हीं की लापरवाही से अपोलो अस्पताल में भी 7–8 मरीजों की जान गई थी, जिसमें दिग्गज कांग्रेस नेता राजेंद्र प्रसाद शुक्ल भी शामिल थे। छत्तीसगढ़ विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष राजेंद्र शुक्ल करीब 32 साल तक विधायक रहे। 20 अगस्त 2006 को उनकी तबीयत बिगड़ने पर उन्हें अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया था। ऑपरेशन के दौरान उनकी मौत हो गई। उनका ऑपरेशन भी कथित डॉक्टर नरेंद्र ने किया था।

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की टीम ने भी की जांच
इस मामले में दिल्ली से आई राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की टीम ने तीन दिनों तक जांच पड़ताल की। वहीं मध्य प्रदेश शासन ने मेडिकल कॉलेज की एक तीन सदस्य टीम इसी मामले में जांच करने के लिए दमोह भेजी थी। टीम ने मिशन अस्पताल सहित विभिन्न स्थानों पर पहुंचकर दस्तावेजों को खंगाला था। फिलहाल आरोपी को पुलिस ने रिमांड पर लिया है। पूछताछ में कई और भी बड़े खुलासे होने की संभावना है।
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