अमित पांडेय, खैरागढ़. डोंगरगढ़ शहर की राजनीति में लगातार सियासी उठापटक चल रही है. पिछले दिनों कांग्रेस समर्थित नगर पालिका अध्यक्ष सुदेश मेश्राम के खिलाफ भाजपा के 14 पार्षदों ने कलेक्टर को अविश्वास प्रस्ताव के लिए ज्ञापन सौंपा था. इसके बाद से ही कांग्रेस की डोंगरगढ़ शहर सरकार गिरती नजर आ रही है. भाजपा पार्षद दल की कार्यवाही से बौखलाई कांग्रेस ने आनन फानन में नगर पालिका उपाध्यक्ष उमा महेश वर्मा के खिलाफ भी अपने 7 पार्षदों के साथ अविश्वास प्रस्ताव लाने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा है.

इस पूरे मामले में सियासी फेर बदल पालिका उपाध्यक्ष उमामहेश वर्मा के भाजपा प्रवेश के बाद ही शुरू हुआ है. उमामहेश के बीजेपी जाते ही डोंगरगढ़ पालिका अध्यक्ष सुदेश मेश्राम की कुर्सी ख़तरे में आ गई थी. हुआ भी यही, भाजपा के अविश्वास प्रस्ताव में पार्षदों की संख्या 14 इन्ही दो निर्दलीय पार्षदों के जाने से हुई है. शहर सरकार में अपने अल्पमत को देखते हुए कांग्रेस भी अपने 7 पार्षदों के साथ कलेक्टर ऑफिस पहुंची और नगर पालिका उपाध्यक्ष उमामहेश वर्मा के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए ज्ञापन सौंपा.

नगर पालिका उपाध्यक्ष उमामहेश वर्मा और एक निर्दलीय पार्षद के भाजपा प्रवेश के बाद से ही नगर पालिका परिषद डोंगरगढ़ में राजनैतिक समीकरण बदले हैं. इस बीच कांग्रेसी पार्षद दल ने भी अपनी रणनीति तैयार कर नगर पालिका उपाध्यक्ष के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए अविश्वास प्रस्ताव के लिए ज्ञापन सौंप दिया है.

पालिका अध्यक्ष सुदेश मेश्राम की माने तो नगर पालिका उपाध्यक्ष उमामहेश वर्मा के पार्टी बदलने के बाद से ही लगातार कांग्रेसी पार्षदों में आक्रोश है. पीआईसी का काम भी सुचारू रूप से नहीं हो पा रहा है. पूरे मामले में ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष विजयराज सिंह ने कहा, राजनैतिक स्वार्थ के लिए अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जा रहा है. वहीं पूरे मामले को लेकर उपाध्यक्ष उमामहेश वर्मा ने बताया कि वे दो बार निर्दलीय पार्षद के रूप में निर्वाचित हो चुके हैं. उन्होंने कभी कांग्रेस प्रवेश नहीं किया. अध्यक्ष सुदेश मेश्राम से शहर के विकास को लेकर काफ़ी उम्मीद थी, परंतु उन्होंने चार साल केवल भ्रष्टाचार ही किया है, इसी के चलते वे भाजपा में गए हैं.

फ़िलहाल नगरीय निकाय चुनाव को महज कुछ महीने ही बचे हैं. ऐसे में दोनों ही पार्टियों ने अपनी कमर कस ली है. आरोप प्रत्यारोप के दौर के साथ ही अब जोड़ तोड़ की राजनीति भी खुलकर देखने को मिल सकती है, जिससे कि अपनी अपनी पार्टी के कुनबे को बढ़ाया जा सके.

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