रायपुर। दंतेवाड़ा विधानसभा उपचुनाव-2019 में कांग्रेस ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की है. वहीं भाजपा 2018 में जीती हुई सीट को 2019 में हार गई. कांग्रेस और भाजपा के इस जीत के कई कारण हो सकते हैं. लेकिन उपचुनाव के परिणाम का विश्लेषण करने के बाद 14 ऐसे कारण रहे हैं, जिससे कांग्रेस की जीत और भाजपा की हार हुई है.
ये हैं वो 14 कारण
1. कांग्रेस की हारी हुई सीट थी ।
2.कांग्रेस प्रत्याशी को कमज़ोर माना गया था । कहा गया था कि बीजेपी प्रत्याशी के पक्ष में सहानुभूति की लहर है ।
3. रमन और जोगी विपक्ष का चेहरा बने थे । पूरी ताकत लगाई थी ।
4. आरएसएस के कार्यकर्ता घर घर घुसे थे । आरएसएस बस्तर में जिस तरह के काम कर रहा है ,उसकी भी साख इस उपचुनाव में दांव पर थी । संघ बस्तर की किसी भी सीट को अपने लिए महत्वपूर्ण मानता है । इस उपचुनाव में भी उसने भरपूर मेहनत की थी ।
5. प्रचार के प्रारंभिक चरण में बीजेपी ने कांग्रेस प्रत्याशी के खिलाफ माहौल बनाने में कोई कसर बाकी नहीं रखी थी ,लेकिन कांग्रेस ने इस उपचुनाव में पूरी सांगठनिक ताकत झोंकी ।
6. खास बात यह थी कि कांग्रेस इस भरोसे नहीं रही कि प्रदेश में उसकी सरकार है इसलिए संगठन को झोंकने की ज़रूरत नहीं ।
7. कांग्रेस संगठन ने चुनावी प्रबंधन के हर बिंदु पर काम किया ।
8. और इस चुनाव का टर्निंग पॉइंट मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का दंतेवाड़ा प्रवास रहा ।
9. इस दौरान भूपेश बघेल ने ना केवल दंतेवाड़ा के पार्टी कार्यकर्ताओं को विश्वास में लिया और उन्हें सक्रियता के साथ काम करने को प्रेरित किया ,बल्कि उन्होंने वहां आम मतदाताओं को यह भरोसा दिलाया कि सरकार के कामकाज में बस्तर के लोगों की ही भागीदारी होगी ।उन्होंने उदाहरण दिए कि किस तरह पिछली सरकार में केवल बड़े लोगों के हित में काम हुए । टेंडर-ठेके तक बस्तर के बाहरी लोग हासिल करते रहे । उन्होंने खनिज विकास निधि MDF के उपयोग को लेकर भी अपनी सरकार की नीतियों को हर सभा में लोगों को बताया ।
10.कांग्रेस भीतरघात से मुक्त थी लेकिन बीजेपी इससे मुक्त नहीं थी ।
11. इस चुनाव का एक महत्व यह भी था कि पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह का कद अपनी ही पार्टी में और घटा । डॉ. रमन सिंह ऐसे भी विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद पार्टी में अलग-थलग माने जा रहे थे । उनके लिए पार्टी में अपनी जगह बनाने के लिए दंतेवाड़ा चुनाव एक अवसर था । लेकिन इस हार ने उन्हें और किनारे कर दिया । इन दिनों तमाम आरोपों का सामना कर रहे रमन सिंह के लिए यह हार और मुश्किल की बात हुई ।
12. पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने भी अपनी ओर से कोई कसर नहीं छोड़ी थी । उन्होंने छोटा सा रोड शो भी किया । लेकिन उनके लिए भी यह चुनाव बड़ा राजनीतिक नुकसान ले कर आया है ।
13. इस चुनाव में एक मुख्यमंत्री के खिलाफ दो पूर्व मुख्यमंत्री डटे थे । दोनों ही पूर्व मुख्यमंत्रियों को मात कहानी पड़ी । यह भूपेश बघेल की एक रणनीतिक विजय भी थी ।
14. कांग्रेस आला कमान के लिए भी यह कठिन समय में एक सुखद खबर है । इस जीत के साथ कांग्रेस चित्रकोट की जंग के लिए भी उत्साह के साथ तैयार है । दूसरी ओर बीजेपी को चित्रकोट की जंग में उतारने से पहले अपने खेमे की निराशा को दूर करने में मेहनत करनी पड़ेगी ।