दरभंगा। जवाहर नवोदय विद्यालय के छात्र जतिन गौतम की संदिग्ध मौत को लेकर न्याय की मांग लगातार तेज होती जा रही है। चार दिनों से धरना दे रहे परिजनों के बीच गुरुवार को सियासी एकजुटता का नजारा देखने को मिला। धरनास्थल पर स्थानीय बीजेपी विधायक डॉ. मुरारी मोहन झा और आरजेडी के पूर्व विधायक डॉ. फराज फातमी एक साथ मंच पर पहुंचे और पीड़ित परिवार का समर्थन किया।
सैकड़ों लोगों ने कैंडल मार्च निकाला
इससे पहले बुधवार शाम न्याय की मांग में सैकड़ों लोगों ने कैंडल मार्च निकाला, जो केवटी बाजार होते हुए एनएच-527बी से वापस धरनास्थल पर समाप्त हुआ। मार्च में शामिल लोगों का कहना था कि यह लड़ाई जात-पात और पार्टी की सीमाओं से ऊपर उठकर लड़ी जा रही है और इसमें हर वर्ग के लोग एकजुट हैं।
एक मासूम की हत्या और सरकार खामोश
पूर्व विधायक फराज फातमी ने कहा कि एक महीना बीतने के बाद भी न तो निष्पक्ष जांच हुई है और न ही दोषियों पर कार्रवाई। उल्टा, पीड़ित परिवार और समर्थकों पर ही एफआईआर कर दी गई। आरोपियों से अब तक पूछताछ तक नहीं हुई। उन्होंने सवाल उठाया कि जब वार्डन और शिक्षक अभी भी पद पर बने हैं तो हजारों बच्चों की सुरक्षा कैसे सुनिश्चित होगी? उन्होंने सीबीआई जांच की मांग करते हुए कहा कि बिहार में कानून-व्यवस्था पूरी तरह चरमराई हुई है—चाहे वह डीएमसीएच गोलीकांड हो, गुड़िया हत्याकांड (समस्तीपुर) हो या पटना की घटनाएं।
प्राचार्य, वार्डन और थानाध्यक्ष जिम्मेदार
बीजेपी विधायक मुरारी मोहन झा ने प्रशासन को घेरते हुए कहा कि जिलाधिकारी और एसएसपी ने एसआईटी जांच का आश्वासन दिया था, लेकिन रिपोर्ट अब तक सामने नहीं आई। यह स्पष्ट रूप से साजिश का मामला है और हॉस्टल में हुई इस घटना के लिए प्राचार्य, वार्डन और उस समय के थानाध्यक्ष जिम्मेदार हैं। उन्होंने इन तीनों की तत्काल गिरफ्तारी की मांग करते हुए कहा कि जब तक दोषियों को सलाखों के पीछे नहीं डाला जाएगा, आंदोलन जारी रहेगा।
धरना स्थल पर जुटी भीड़
धरने में सुजीत मल्लिक, लखिचंद्र यादव, पन्ना यादव, जगदीर यादव, भैरव झा, देवानंद झा, राम नंदन यादव, रामचंद्र साहू, रमन कुमार मिश्र, करुणानंद मिश्र, सतीश यादव, रवि यादव, भोला यादव और मुकेश कुमार सहित बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे।
पूरे बिहार में संवेदनशील बना दिया
जतिन गौतम की मौत पर उठ रहे सवाल और प्रशासन की चुप्पी ने इस मुद्दे को न सिर्फ दरभंगा बल्कि पूरे बिहार में संवेदनशील बना दिया है। अब देखना होगा कि पीड़ित परिवार की न्याय की पुकार पर सरकार और प्रशासन कब तक प्रतिक्रिया देते हैं।
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