होलिका दहन के दसवें दिन व्रत-पूजन कर महिलाओं ने सुख-समृद्धि के साथ पारिवारिक दशा सुधारने की कामना दशा माता से की. माता पार्वती की स्वरूप दशा माता के पूजन का यह अवसर चैत्र कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि 17 मार्च शुक्रवार को मिला. सोलह शृंगार कर सुहागिन महिलाएं सुबह से उन मंदिरों में जुट गई थी, जहां पीपल का पेड़ है. सामूहिक रूप से राजा नल और रानी दमियंती की कथा भी सुनीं.

आज के दिन सभी सुहागिन महिलाएं दशा माता की पूजन और व्रत करती हैं तथा इस डोरे की पूजा करके गले में बांधती हैं जिससे अपने घर में सुख-समृद्धि आती है. यह व्रत घर पर आई विपदा व परेशानियों को दूर करने के लिए किया जाता है. इस दिन सुहागन स्त्रियां अपने घर की दशा सुधारने के लिए यह व्रत करती है. इसलिए इस व्रत को दशा माता का व्रत कहा जाता है. Read More – मैनेजर को याद आए Satish Kaushik के आखिरी लफ्ज, एक्टर ने कहा था ”मैं मरना नहीं चाहता, मुझे बचा लो” …

धार्मिक शास्त्रों के अनुसार, इस दिन महिलाएं व्रत-पूजन करके गले में कच्चे सूत का डोरा बांधती है, ताकि घर-परिवार में सुख-समृद्धि, शांति, सौभाग्य और अपार धन संपत्ति बनी रहे. इस व्रत में साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखते हैं. इस दिन झाड़ू आदि सफाई की चीजों का खरीदने की परंपरा भी प्रचलित है. पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, यह व्रत करने से सभी तरह की परेशानियों से बचा जा सकता है. Read More – शतभिषा नक्षत्र में पहुंचे शनिदेव, तीन राशियों के लिए सबसे ज्यादा लकी, अपनी स्वराशि में विराजमान हैं शनि …

कौन हैं दशा माता

दशा माता नारी शक्ति का एक रूप है. ऊँट पर आरूढ़, देवी मां के इस रूप को चार हाथों से दर्शाया गया है. वह क्रमश: ऊपरी दाएं और बाएं हाथ में तलवार और त्रिशूल रखती है और निचले दाएं और बाएं हाथों में उनके पास कमल और कवच है.