Mahakumbh 2025. 13 जनवरी से महाकुंभ मेले का शुभारंभ हो जाएगा. इससे पहले मेला क्षेत्र में छावनी प्रवेश का सिलसिला शुरु हो गया है. धूमधाम के साथ अखाड़े के साधु-संत मेला क्षेत्र में प्रवेश कर रहे हैं. नए साल के पहले दिन श्री शंभु पंचायती अटल अखाड़ा ने नगर प्रवेश किया. इस दौरान श्रद्धालुओं ने जमकर पुष्प वर्षा की और भगवान भोलेनाथ के जयकारे के साथ साधु-संतो का भव्य स्वागत किया. इसी के साथ आगामी दिनों में अन्य अखाड़े भी नगर प्रवेश करेंगे.
महाकुंभ 2025 में विभिन्न अखाड़ों के छावनी नगर प्रवेश की तिथि-
पौष शुक्ल द्वितीया (1 जनवरी 2025) – श्री शंभु पंचायती अटल अखाड़ा
पौष शुक्ल षष्ठी (5 जनवरी 2025) – श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाड़ा
पौष शुक्ल षष्ठी (5 जनवरी 2025) – श्री शंभु पंच निर्मोही अनी अखाड़ा
पौष शुक्ल सप्तमी (6 जनवरी 2025) – श्री तपोनिधि आनंद अखाड़ा
पौष शुक्ल एकादशी (10 जनवरी 2025) – श्री पंचायती अखाड़ा नया उदासीन
पौष शुक्ल द्वादशी (11 जनवरी 2025) – श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल
पौष शुक्ल त्रयोदशी (12 जनवरी 2025) – श्री शंभु पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन
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सबसे पहले साधु-संत करते हैं स्नान
मान्यता है कि संगम में शाही स्नान का सर्वप्रथम अधिकार वैदिक सनातन धर्म की रक्षा के लिए जगद्गुरु आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित साधु-संतों के 13 अखाड़ों को है. इन 13 अखाड़ों में दशनामी सन्यासियों के 7 अखाड़े होते हैं. जिनमें अटल, आवाहन, आनन्द, निरंजनी, महानिर्वाणी, भैरों और अग्नि अखाड़ा आते हैं. इसके अलावा 3 वैष्णव अखाड़े होते हैं. और दो उदासीन अखाड़े. वहीं 13वां अखाड़ा निर्मल अखाड़ा है.
दशनामी संप्रदाय क्या है?
शैव सन्यासी संप्रदाय के तहत ही दशनामी संप्रदाय जुड़ा हुआ है. जो जगद्गुरु आदि शंकराचार्य जी द्वारा बनाया गया था. दशनामी संप्रदाय के नाम इस प्रकार हैं- गिरी, पर्वत, सागर, पुरी, भारती, सरस्वती, वन, अरण्य, तीर्थ और आश्रम.
धर्मध्वज की स्थापना
बता दें कि इससे पहले अखाड़ों में धर्म ध्वजा की स्थापना की गई थी. महाकुंभ नगर के सेक्टर 20 में त्रिवेणी मार्ग पर स्थित शिविरों में बीते शनिवार को तीन वैष्णव अखाड़ों की धर्म ध्वजा की स्थापना हुई. इन अखाड़ों में श्री पंच निर्मोही अणि अखाड़ा, श्री पंच निर्वाणी अणि अखाड़ा और श्री पंच दिगंबर अणि अखाड़ा शामिल हैं. इन अखाड़ों के धर्म ध्वजा स्थापना समारोह के साथ-साथ चरण पादुका पूजन भी विधिपूर्वक संपन्न हुआ. महाकुंभ के इस आयोजन में विशेष रूप से हनुमान जी की पूजा और उनकी ध्वजा की स्थापना की गई, जो अब इन अखाड़ों में प्रमुख रूप से विराजमान हैं. इन ध्वजाओं की स्थापना के बाद अखाड़ों में विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान और कार्यक्रमों की शुरुआत हो गई है.
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