रवि रायकवार, दतिया। केंद्र और राज्य सरकार बच्चों को शिक्षा देने के लिए तमाम अभियान चला रही हैं। खासकर आदिवासियों के उत्थान और उनको शिक्षित करने लिए कई योजनाएं चला रही हैं, लेकिन मध्य प्रदेश के दतिया के नीबरी गांव में चले जाएं तो आप आदिवासियों के बच्चों की हालत देख कर हैरान रह जाएंगे।
यह मामला दतिया मुख्यालय से 10 किलोमीटर दूर स्थित नीबरी ग्राम का है। जहां गांव में सहरिया आदिवासी रहते हैं, लेकिन इनको किसी भी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है। योजनाओं का लाभ तो दूर इनके बच्चे स्कूल तक नहीं जा पा रहे हैं। वजह सुनकर आप हैरान रह जाएंगे। ग्राम में दो दर्जन से ज्यादा ऐसे बच्चे हैं जिनका आधार कार्ड और समग्र आईडी नहीं है, जिससे उनका न तो स्कूल में एडमिशन हुआ है न ही उन्हें अन्य योजनाओं का लाभ मिल पा रहा है। आदिवासी लड़का नीरज 14 साल का होने को है, लेकिन इसने आज तक स्कूल की शक्ल नहीं देखी और न ही कुछ पढ़ना लिखना जानता है। इसका स्कूल में एडमिशन क्यों नहीं हुआ इस बेचारे को ये तक पता नहीं है।

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दो दर्जन से ज्यादा बच्चों के आधार कार्ड नहीं
शिक्षक और कर्मचारियों का अनुमान है कि दो दर्जन से ज्यादा बच्चे ऐसे हैं जिनके पास आधार कार्ड नहीं है जिसकी वजह से वे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं। नीबरी ग्राम के बच्चों के आधार कार्ड नहीं बने है और वे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं। ये जिला प्रशासन को पता ही नहीं है। अब प्रशासन आदिवासियों की समस्या दूर करने के कदम उठाने की बात कह रहा है।
कलेक्टर ने कही ये बात
कलेक्टर स्वप्निल वानखेड़े ने कहा कि यह गंभीर मुद्दा है। किसी भी बच्चों को स्कूली शिक्षा से वंचित नहीं किया जा सकता है। इस पर संज्ञान लेकर दो से तीन दिन के अंदर सर्टिफिकेट जारी करने की कोशिश की जाएगी। आधार कार्ड और समग्र आईडी बनाने का प्रयास करेंगे और स्कूल में एडमिशन दिलाया जाएगा।
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हैरानी की बात यह है कि जिला मुख्यालय से बिल्कुल पास के गांव के आदिवासी बच्चों के आधार कार्ड नहीं बने वे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं और शिक्षा विभाग से लेकर जिला प्रशासन तक के अधिकारी वर्षों से सो रहे हैं, तब जो आदिवासी जो मुख्यालय से बहुत दूर हैं उनको शासन की योजनाओं का कितना लाभ मिल पा रहा है, इसका अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है।
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