मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा को दत्तोदय जयंती मनाई जाती है. मान्यता है कि इसी तिथि पर भगवान दत्तात्रेय का जन्म हुआ था. भगवान दत्त के बारे में कई मान्यताएं हैं. कुछ ग्रंथों में उन्हें भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है, तो कुछ में उन्हें त्रिदेव का संयुक्त अवतार माना जाता है. हमारे देश में भगवान दत्तात्रेय के कई प्राचीन मंदिर हैं. जो 500 से 700 साल पुराना है. दत्तात्रेय जयंती पर यहां कई विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. दत्तात्रेय जयंती (14 दिसंबर, शनिवार) के मौके पर आइए जानते हैं ऐसे ही कुछ प्राचीन मंदिरों के बारे में…
इंदौर
इंदौर के कृष्णपुरा की ऐतिहासिक छतरी के पास भगवान दत्तात्रेय का 700 साल पुराना प्राचीन मंदिर स्थित है. इस मंदिर में जगद्गुरु शंकराचार्य भी रुके थे. मराठाशाही बखर (मोदी भाषा) में सरस्वती और चंद्रभागा नदियों के संगम पर भगवान दत्तात्रेय के मंदिर का वर्णन मिलता है.
गुजरात
गुजरात के तिलकवाड़ा इलाके में स्थित भगवान दत्त मंदिर बहुत प्रसिद्ध है. इसे गरुड़ेश्वर दत्त मंदिर कहा जाता है. यह मंदिर नर्मदा के तट पर स्थित है. मान्यता है कि भगवान दत्त स्वयं प्रतिदिन नर्मदा नदी में स्नान करने आते हैं. यह भी कहा जाता है कि यदि कोई यहां लगातार 7 सप्ताह तक गुड़ और मूंगफली चढ़ाता है, तो उसकी सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं.
काशी
काशी के ब्रह्मघाट पर भगवान दत्तात्रेय का प्राचीन मंदिर बना हुआ है. इस मंदिर से कई मान्यताएं जुड़ी हुई हैं. यहां कहा जाता है कि भगवान दत्तात्रेय के दर्शन से कई तरह के रोग दूर हो जाते हैं. यह मंदिर 300 साल से भी ज्यादा पुराना है. यह उत्तर भारत में भगवान दत्तात्रेय का एकमात्र मंदिर है.
रायपुर
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के ब्रह्मपुरी में श्री दत्तात्रेय भगवान का मंदिर करीब 700 साल पुराना है. मान्यता है कि जो भी भक्त यहां आकर भगवान दत्तात्रेय के सामने अपने दिल की इच्छा कहता है, उसकी हर इच्छा पूरी होती है. यही कारण है कि यहां प्रतिदिन हजारों लोग भगवान दत्तात्रेय के दर्शन के लिए आते हैं.
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