दिल्ली. राजस्थान की रहने वाली एक बेटी ने कुछ ऐसा किया कि जिसे लंबे अरसे तक याद किया जाता रहेगा. इस बेटी ने अपनी मां की खुशियों के लिए ऐसा कुछ कर डाला जिसकी कल्पना भी हम और आप नहीं कर सकते.
दरअसल जयपुर की रहने वाली संहिता अग्रवाल के पिता मुकेश अग्रवाल की 13 मई 2016 को हार्ट अटैक से मौत हो गई. पिता की मौत पूरे परिवार के लिए बहुत बड़ा सदमा था. संहिता के परिवार में किसी को भी नहीं पता था कि उनके पिता जो कि एकदम स्वस्थ थे अचानक उनका साथ हमेशा के लिए छोड़कर चले जाएंगे. संहिता की बड़ी बहन की शादी हो गई थी और परिवार में उनके और मां के अलावा कोई नहीं था. पिता की मौत के बाद संहिता की मां गीता बुरी तरह से डिप्रेशन का शिकार हो गई. पिता के निधन का लंबा अरसा गुजर जाने के बाद भी संहिता की मां दुख से ऊबर नहीं पाई. वह बताती हैं कि जब मैं आफिस से घर लौटती थी तो मुझे मां का दुखी चेहरा बेहद परेशान करता था. अचानक मां सोते-सोते नींद से उठ जाती और पूछने लगती कि पापा कहां हैं. इसी दौरान संहिता को एक कंपनी में गुड़गांव में जाब मिल गई.
संहिता के घर से जाने के बाद उनकी मां इस कदर अकेली हो गई कि वो रात को टीवी चलाकर सोती ताकि उन्हें ये एहसास हो कि घर में कोई दूसरा है. अपनी मां के इस दुख और अकेलेपन को दूर करने के लिए संहिता ने गंभीरता से सोचना शुरु किया. उन्होंने एक मैट्रीमोनियल साईट पर मां को बिना बताए उनकी प्रोफाइल बना दी. जिसके बाद उनकी मां के लिए रिश्ते आने शुरु हो गए.
इसी साइट पर संहिता की मां से शादी का प्रस्ताव 55 वर्षीय गोपाल गुप्ता ने भेजा. शुरुआत में सबकुछ इतना आसान नहीं था. जब संहिता ने अपनी मां से दोबारा शादी करने की बात कही तो उन्होंने साफ इंकार कर दिया. दरअसल गोपाल गुप्ता राजस्थान सरकार में अधिकारी थे. उनकी पत्नी की भी सात साल पहले बीमारी से मौत हो चुकी थी. उसके बाद गोपाल भी अकेले जीवन गुजार रहे थे. इसी दौरान संहिता की मां का गंभीर आपरेशन हुआ. जब गोपाल गुप्ता को इस बात की जानकारी हुई तो उन्होने न सिर्फ संहिता की मां की निस्वार्थ सेवा की बल्कि रिश्ता तय न होने के बाद भी उनकी देखभाल में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी. गोपाल गुप्ता के इस संवेदनशील बर्ताव के बाद आखिरकार संहिता की मां गीता अग्रवाल उनसे शादी के लिए तैय्यार हो गई.
खास बात ये है कि गीता के परिजनों ने इस शादी का जमकर विरोध किया और वे उनकी शादी में शरीक नहीं हुए. रिश्तेदारों के दकियानूसी विचारों की फिक्र न करते हुए संहिता ने अपनी मां गीता और गोपाल गुप्ता की शादी आर्य समाज मंदिर में करा दी. अब गीता और गोपाल सुखी वैवाहिक जिंदगी जी रहे हैं.
अपनी मां की खुशियों के लिए एक बेटी इतना बड़ा कदम उठा सकती है. ऐसा किसी ने सपने में भी नहीं सोचा था. संहिता को अपनी मां की खुशियों की खातिर बहुत कुछ झेलना पड़ा लेकिन उसने समाज के तानों और सोच की परवाह न करते हुए अपनी मां के आंचल में वापस खुशियां भर दी. संहिता के इस काम की जानकारी इंटरनेट पर लोगों को होते ही उसकी कहानी खूब वायरल होने लगी. आज सभी संहिता के इस कदम की खूब तारीफ कर रहे हैं. काश हर मां की बेटी संहिता जैसी होती जो अपनी मां की खुशियों के लिए कुछ भी कर गुजरने से नहीं चूकती.