डब्बू ठाकुर, कोटा। सास-बहू का रिश्ता कैसा होना चाहिए, इस बात की मिसाल महामाया की नगरी रतनपुर के करैहा पारा में रहने वाले तंबोली परिवार की बहुओं पेश कर रही हैं. उन्हें अपनी सास से इतना प्रेम था कि उनकी मृत्यु के उपरांत उनकी यादों को संजोए रखने के लिए उनका मंदिर बनवा लिया. इतना ही नहीं वे रोज उनकी पूजा करने के साथ आरती भी उतारती हैं. इतना ही नहीं महीने में एक बार मंदिर के सामने बैठकर भजन-कीर्तन करती हैं.
रतनपुर के करैहा पारा में रहने वाले 77 वर्षीय रिटायर्ड शिक्षक शिवप्रसाद तंबोली का 39 सदस्यों वाला संयुक्त परिवार है. उनकी 11 बहुएं हैं. बहुओं की सास गीता देवी का 2010 में स्वर्गवास हो गया, वे अपनी बहुओं को बेटियों की तरह स्नेह करती थीं. बहुओं को भी उनसे कभी शिकायत नहीं रही. शिव प्रसाद अपनी पत्नी गीता के बारे में कहते हैं कि उनके अच्छे संस्कार और धार्मिक सदाचार ने ही आज तक परिवार को जोड़कर रखा है. तंबोली परिवार को उनसे बिछडऩे का आज भी बहुत दुख है.
शिव प्रसाद का मानना है कि गीता देवी के प्रयासों से ही परिवार में सुख, समृद्धि और एकता है. परिवार में कभी झगड़ा नहीं हुआ. हर काम सलाह से करते हैं. बहुओं ने सास की मूर्ति का सोने के गहनों से श्रृंगार किया है. गीता की तीन बहुएं हैं, इनमें बेटे संतोष की पत्नी ऊषा, प्रकाश की पत्नी वर्षा और प्रमोद की पत्नी रजनी शामिल है.
संयुक्त परिवार में गीता देवी के देवर केदार की पत्नी कलीबाई, कौशल की पत्नी मीराबाई, पुरुषोत्तम की पत्नी गिरिजा बाई और सुभाष की पत्नी अंजनी भी हैं. बड़ी जेठानी गीता ने कभी उन्हें देवरानी नहीं माना, बल्कि बहनों की तरह ही दुलार किया. सभी को मिलजुलकर साथ रहने की शिक्षा दी. इधर शिव प्रसाद ने बेटे और भाइयों में भेदभाव नहीं किया. रिटायर होने के बाद उन्हें सरकार से जो राशि मिली, उसे सभी को बांट दिया. पेंशन की रकम को घर खर्च में लगाते हैं. शिवप्रसाद आपस में पांच भाई हैं, जिनमें शिवप्रसाद ही सबसे बड़े हैं.
दूसरे नंबर के भाई केदारनाथ और तीसरे नंबर के भाई कौशलनाथ का निधन हो चुका है. दो बाई मुन्ना व सुभाष भी व्यवसाय करते हैं. तीनों परिवार का जिम्मा स्वयं शिवप्रसाद खुद ही संभालते हैं. केदारनाथ के चार, कौशल के दो, पुरुषोत्तम के दो बेटे हैं. भाइयों की पत्नियों को मिलाकर 11 बहुएं तंबोली परिवार की आधार स्तंभ हैं.
14 बच्चों वाले इस परिवार के हर सदस्य को अपनी पसंद से कपड़े, ज्वैलरी आदि पहनने और भोजन की छूट है. इस परिवार की सभी बहुएं पढ़ी-लिखी हैं. वे पुरुषों के कारोबार का हिसाब-किताब रखने में मदद करती हैं. शिव प्रसाद रिटायर होने के बाद पान दुकान चलाते हैं. तंबोली परिवार के पास होटल के अलावा दो किराना दुकान, दो पान दुकान और साबुन की फैक्टरी है. उनकी 20 एकड़ जमीन है, जिनमें खेती करते हैं. तंबोली परिवार की एक ही रसोई है, जहां बहुएं मिलकर खाना पकाती हैं.