नीरज उपाध्याय , सारण Saran News: छपरा जिले के मांझी नगर पंचायत के हसन अली बाजार से एक अत्यंत हृदयविदारक घटना सामने आई है. यहां स्वर्गीय राजेश्वर पंडित उर्फ भिखारी पंडित के 35 वर्षीय पुत्र भोला पंडित की असामयिक मृत्यु ने पूरे गांव को शोक में डाल दिया. भोला पंडित का इलाज पटना के एक अस्पताल में चल रहा था, लेकिन उनका स्वास्थ्य लगातार गिरता गया.

इस इलाज के लिए उन्होंने अपनी जमीन बेच दी और कर्ज के बोझ तले दब गए. उनके परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी खराब हो गई कि, उन्हें कर्ज में डूब कर अपने इलाज का प्रबंध करना पड़ा. बेहतर इलाज के बावजूद भी भोला पंडित की जान डॉक्टर नहीं बचा पाए. मंगलवार को देर शाम जैसे ही भोला पंडित का शव गांव पहुंचा, तो पूरा गांव शोका कुल हो गया.

बेटी ने दी पिता को मुखाग्नि

भोला पंडित की मौत के बाद उनकी अंतिम यात्रा का दृश्य भी अत्यंत मार्मिक था. उनकी 13 वर्षीय बेटी खुशी ने इस शव यात्रा में अपने पिता को कंधा दिया और समाज की परंपराओं से अलग हटकर उनके पार्थिव शरीर को मुखाग्नि भी दी. यह दृश्य देख वहां उपस्थित सभी लोग हैरान रह गए और अपनी आंखों में आंसू भर बैठे, जिस साहस के साथ भोला पंडित की बेटी ने अपने पिता की अंतिम विदाई दी, वह न केवल परिवार के लिए बल्कि पूरे समाज के लिए एक प्रेरणा बन गई.

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बेटों से कम नहीं बेटियां

गांव वाले और भोला पंडित के सगे संबंधी इस बात से काफी चिंतित हैं कि भोला पंडित के इलाज के कारण पहले ही कर्ज में डूबा परिवार इस दुख की घड़ी में अपने आप को कैसे संभालेगा.

इस घटना ने समाज को एक गहरा संदेश दिया कि आज के समय में बेटियां भी बेटों से कम नहीं हैं और वे किसी भी परिस्थिति का सामना करने के लिए तैयार हैं. भोला पंडित की बेटी का यह कदम समाज के रूढ़िवादी विचारों पर भी प्रश्नचिह्न खड़ा करता है और बताता है कि बेटियां भी अपने परिवार के प्रति समान जिम्मेदारी निभा सकती हैं.

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