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रायपुर। झीरम घाटी संयोजक दौलत रोहड़ा ने केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह को एनआईए जांच से संबंधित दस्तावेज एसआईटी को देने के लिए पत्र लिखा है. पत्र में कहा है कि 8 साल पहले छत्तीसगढ़ के झीरम घाटी में 25 मई 2013 को कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा पर नक्सली हमला हुआ था, जिसमें शहीद होने वालों में कांग्रेस पार्टी के पूर्व केन्द्रीय मंत्री पं. विद्याचरण शुक्ल, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नंदकुमार पटेल, महेन्द्र कर्मा सहित 27 लोगों की हत्या कर दी गई थी. इसमें कई नेता घायल हुए थे, जिसकी जांच उस समय के तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने एनआईए जांच के निर्देश दिये थे. जो घटना के कुछ दिनों बाद जांच करने छत्तीसगढ़ जगदलपुर के वन विभाग के रेस्ट हाउस को कार्यालय बनाकर शुरू की थी.
समाचार पत्रों के माध्यम से पता चला कि एनआईए ने अपना पहला आरोप पत्र उच्च न्यायालय बिलासपर छत्तीसगढ़ में 23.09.2014 को प्रस्तुत किया है व 16 सितंबर 2015 को अपनी आखरी पत्र भी प्रस्तुत कर दिया है जो संपूर्ण नहीं थी क्योंकि हमारा आरोप है कि झीरम घाटी एक राजनीतिक साजिश थी और एनआईए द्वारा ना हम लोगों घायल परिवार से पूछताछ की गई और न हीं जमीनी स्तर में जांच की गई थी।
उन दिनों हम सब पीड़ित परिवार बहुत दुखी हो गए व जांच की मांग को लेकर भटकते रहे. 16 अप्रैल 2016 को तत्कालीन केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह का रायपुर प्रवास हुआ था हम पीड़ित परिवार उनसे मिलकर सीबीआई जांच की मांग के लिये समय मांगा था परंतु हमें नहीं मिलवाया गया तो हमने उनको देने वाला मांग पत्र जिलाधीश को सौंपा था.
जिसके बाद विधानसभा में भी सीबीआई की जांच की मांग विपक्ष दल कांग्रेस के द्वारा उठाई गई थी, लेकिन उस पर भी कुछ नहीं हुआ.
2019 दिसंबर को कांग्रेस की सरकार छत्तीसगढ़ में बनी तो झीरम घाटी की जांच जो एनाआईए ने पूरी कर ली थी जिसमें सच सामने लाने में असफल रही थी उसके लिये एसआईटी का गठन फरवरी 2020 में किया गया है परंतु एनआईए के द्वारा दस्तावेज न देने के कारण जांच शुरू नहीं हो पाई है.
अतः हम सभी झीरम घाटी छत्तीसगढ़ नक्सली हमले के शहीदों व घायलों के पीड़ित परिवार आपसे मांग करते है कि एनआईए इस जांच के दस्तावेज एसआईटी को दे ताकि झीरम घाटी का सच जनता के सामने व देश के सामने आ सके। हमें न्याय मिले व षड़यंत्रकारियों को सजा मिल सके.